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एक जनवरी को कलेंडर बदलिए,भारतीय संस्कृति नहीं

 


मेजा,प्रयागराज। 

एक जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व हो।नया केवल एक दिन ही नही कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए।नए साल की खुशियों में कौन सी चीज नई दिख रही है।कुछ भी नहीं,तो नए साल  की खुशी हम क्यूं मनाएं।आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।ईस्वी संवत का नया साल एक जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। गौरतलब है कि 

एक जनवरी को कोई अंतर नहीं, जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी। वहीं चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ों पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर,लेकिन चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है। गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I दिसंबर जनवरी मे वही कक्षा कुछ नया नहीं, जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलों का रिजल्ट आता है। नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल का आगाज होता है।

दिसम्बर-जनवरी में कोई खातों की क्लोजिंग नहीं होती।जबकि 31 मार्च को बैंको की क्लोजिंग होती है। नए बही खाते खोले जाते हैं I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।

जनवरी में नया कलैण्डर आता है।

Svnews

चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग। दिसंबर-जनवरी में खेतों में वही फसल होती है, जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है। नया अनाज घर में आता है तो किसानों का नया वर्ष और उत्साह होता हैI

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते हैं, हंगामा करते हैं, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता दिखता है।

जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है। पहला नवरात्र होता है। घर - घर में माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I इसके अलावा

एक जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है।जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इसी दिन से है I

एक जनवरी को अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगों के अलावा कुछ नही बदलता है। 

अपना नव संवत् ही नया साल हैI जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियां, किसान की नई फसल, विद्यार्थियों की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है, जो विज्ञान आधारित हैIभाजपा नेता राजेंद्र प्रसाद तिवारी

आचार्य राकेश पांडेय,भानु पांडेय,भाजपा नेता गोविंद मिश्र,रूपनारायण मिश्र,कमलेश मिश्र  आदि ने भारतीय लोगों से आने वाले नए साल में अपनी मानसिकता को बदलने,विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचानने की अपील करते हुए कहा कि एक बार अवश्य सोचें कि हम एक जनवरी को नया साल क्यों मना रहे हैं?

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