मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। घर के इकलौते चिराग, जिसकी आहट मात्र से मां के चेहरे की मुस्कान और विकलांग पिता के चेहरे के थकान मिट जाती थी, को तलाशने के लिए पिछले चार दिन से एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगी हुई है लेकिन नतीजा शून्य से आगे नहीं बढ़ पाया है। जाहिर सी बात है जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा है उम्मीद का दीपक वैसे वैसे ही मद्धम होता जा रहा है। यह किसी स्टोरी का संदर्भ नहीं बल्कि प्रयागराज के करछना-मेजा बार्डर पर टोंस नदी के पुल पर 4 जनवरी को हुए दर्दनाक हादसे में लापता उस युवा किसान के घर की कहानी है, जिसके बूढ़े मां- बाप, बेसहारा दिख रही पत्नी और तीन मासूम बच्चों की पीड़ा है।
यमुनानगर के कोरांव थाना अंतर्गत पक्किहा का पूरा, चांदी ग्राम सभा निवासी अमरनाथ तिवारी विकलांग है। खेती किसानी करके एक बेटे और तीन बेटियों का लालन पालन किया। चारों की शादी की। उनका इकलौता बेटा रूपेंद्र कुमार तिवारी पिता के साथ ही खेती किसानी में हाथ बटाता था। उसकी पत्नी रंजना, बेटा आयुष और दो बेटियां श्रेया एवं सृष्टि हैं।
रुपेन्द्र ने करीब साल भर पहले फाइनेंस पर खरीदा था ट्रैक्टर
8 फरवरी 2022 को रूपेंद्र ने फाइनेंस कराकर एक ट्रैक्टर खरीदा था। जिसकी किस्त अभी भी चल रही थी। ट्रैक्टर चलाने के लिए उसने एक ड्राइवर रखा था। 4 जनवरी को सुबह ट्रैक्टर ट्राली में धान लादकर राइस मिल नैनी ले जाना था। ड्राइवर देर से आया तो रुपेंद्र ने उसे डांट कर वापस कर दिया और खुद ही 182 बोरी धान ट्रॉली में लोड करा कर नैनी के लिए निकल पड़ा। परिवार के ही पुष्पेंद्र तिवारी का भी ट्रैक्टर धान लादकर नैनी आ रहा था। दोनों ट्रैक्टर गांव से साथ में ही निकले थे।
साथियों को कोहड़ार बाजार में छोड़ अकेले चल दिया था रूपेंद्र
कोहड़ार घाट बाजार पहुंचकर दोनों लोग रुके वहां चाय नाश्ता किया। कार के लोग कोहड़ार घाट पर बैठकर कुछ बात कर रहे थे। रूपेंद्र यह कहकर वहां से चल दिया कि उसे कोहड़ार घाट पुल पार करके धरवारा में किसी से तगादा करना है। 8:30 से 9:00 के बीच जब वह कोहड़ार घाट पुल पार कर रहा था, उसी दौरान ट्रॉली में लगी धान की एक बोरी ट्रैक्टर और ट्राली के बीच में गिर गई जिससे ट्रॉली अनियंत्रित हो गई और ट्रैक्टर का भी बैलेंस बिगड़ गया। नतीजा यह हुआ कि ट्रैक्टर ट्राली दोनों पुल से करीब 100 फीट नीचे टोंस नदी में गिर गए उनके साथ उपेंद्र तिवारी भी नदी में गिरा।
ट्रैक्टर-ट्राली और धान की बोरियां निकली पर रूपेंद्र का नहीं चला पता
ट्रैक्टर, ट्रॉली, धान की बोरियां तो उसी दिन निकल आए, लेकिन रूपेंद्र आज तक उस नदी से नहीं निकला। ऐसा नहीं है कि उसको खोजने की कोशिश नहीं की गई। परिवार ने प्राइवेट गोताखोरों से लेकर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम के साथ 20 किलोमीटर की दूरी तक टोंस नदी के दोनों घाटों को छान मारा। लेकिन रुपेंद्र तिवारी का अभी तक कहीं कुछ पता नहीं चल पाया। जैसे जैसे समय बीत रहा है घर परिवार की उम्मीदें टूट रही है। विकलांग पिता की बुढौती का एकमात्र सहारा बेटा इस तरह से गायब होगा कभी किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। एक तरफ लापता बेटे की खोज का दर्द तो दूसरी तरफ उसके मासूम बेटे आयुष और वे दोनों बेटियों के पापा कब आएंगे? जैसे कई अनुत्तरित सवाल रुपेंद्र के मां बाप ही नहीं घर परिवार के लोगों को भी अंदर तक झकझोर कर रख दे रहे हैं। लेकिन विधि के विधान के आगे सभी असहाय हैं।
करछना इंस्पेक्टर विश्वजीत सिंह का कहना है कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार प्रयासरत हैं। गोताखोर भी लगाए गए हैं, जाल भी डलवाई गई है, लेकिन अभी तक गायब रुपेंद्र तिवारी का कुछ पता नहीं चल पाया है।