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बिकरु कांड मे खुशी दुबे की आपबीती: ठीक से परिवार को समझ भी नहीं पाई कि पुलिस ने भेज दिया जेल

SV News

कानपुर (राजेश सिंह)। दो जुलाई की रात सिर्फ गोलियों की आवाज आ रही थी और कुछ लोग की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं। इसके अलावा मुझे कुछ नहीं पता। मैं तो ठीक तरह से परिवार को समझ भी नहीं पाई थी और पुलिस ने ऐसे गंभीर आरोपों में मुझे जेल भेज दिया। मैंने पहली और आखिरी बार अपनी शादी के दिन विकास दुबे को देखा था।
यह बात जेल से रिहा होने के बाद पनकी स्थित अपने घर (मायके) पहुंची खुशी ने कही। घर पहुंचते ही खुशी ने देहरी के पैर छुए इसके बाद प्रवेश किया। मां गायत्री ने मिठाई खिलाकर खुशी का मुंह मीठा कराया। इसके बाद खुशी ने बड़ी बहन नेहा के बच्चे सगुन व वेद को गले से लगा लिया। खुशी ने पत्रकारों से कहा कि उस रात अमर दुबे मेरे ही साथ थे। क्या विकास दुबे से अमर के संबंध थे? इस बात पर खुशी ने कहा कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता। खुशी ने कहा कि ये 30 माह जेल के अंदर मेरे जीवन के सबसे कठिन दिन थे। बाहर आने के बाद बड़ी खुशी मिली है। खुशी कहती हैं कि आगे पढ़ाई कर सफल अधिवक्ता बनना है।

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विकास दुबे का करीबी शूटर अमर दुबे व अमर की पत्नी खुशी दुबे

खुशी दुबे के खिलाफ पुलिस के पास कोई ठोस सुबूत नहीं थे। बावजूद 17 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने खुशी के खिलाफ सुबूत जुटाए नहीं हैं बल्कि गढ़े हैं। यह बात खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कही। कहा कि उन्हें भरोसा था कि न्याय जरूर मिलेगा।

घर पहुंचते ही भाई बहनों ने भी जताई खुशी

माती जेल से रात करीब साढ़े सात बजे चलकर नौ बजे खुशी पनकी स्थित अपने घर पहुंची। खुशी को देखते ही बहन शिखा व भाई करुणेश के आंखों से आंसू छलक आए। क्षेत्रीय लोग खुशी की रिहाई की खबर पूरे दिन टीवी पर देखते रहे। रात करीब आठ बजे पनकी पुलिस जब खुशी दुबे के घर पहुंची तो सभी लोग झांकने लगे। मगर पुलिस खुशी के भाई करुणेश से पूछताछ करने के बाद चली गई। जैसे ही खुशी की गाड़ी मोहल्ले में घुसी तो सभी लोग उसे देखने के लिए घरों से बाहर निकल आए।रिहाई की खबर के बाद से शनिवार को पूरा दिन पुलिस की निगाह क्षेत्र की गतिविधियों पर बनी रहे। पनकी इंस्पेक्टर व एसीपी फोर्स के साथ लगातार क्षेत्र के आसपास राउंड लगाते रहे। पुलिस की गाड़ी क्षेत्र में आते ही लोगों को लगता था खुशी आ गई है।

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विकास दुबे व खुशी दुबे 

खुशी की मां गायत्री ने पत्रकारों से कहा कि खुशी निर्दोष थी, इसीलिए उसे कोर्ट ने जमानत दी है। मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। आगे भी खुशी को न्याय मिलेगा। अब आगे क्या करना है, इसके लिए अभी कुछ सोचा नहीं है। खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत ने कहा कि पुलिस ने खुशी पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था मगर उनके पास कोई भी ठोस सबूत नहीं थे। इसलिए खुशी को जमानत मिली है। आगे भी वह बाइज्जत बरी होगी। न्यायालय पर पूरा भरोसा है।

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