मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
भगवान शंकर के जन्मदिवस के रूप में मनाए जाने वाला धार्मिक पर्व 'महाशिवरात्रि' पारंपरिक ढंग से धूमधाम से मनाया गया।क्षेत्र के मेजा तहसील मुख्यालय के पास स्थित पहाड़ी के किनारे बसा बाबा बोलन नाथ धाम में शनिवार को सुबह से ही जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा को देर शाम तक चलता रहा।दर्शन के लिए लगभग 90 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की भीड़ देखने को मिली।शिव भक्त कभी न दुखाने वाला पवित्र सरोवर स्नान कर महाभारत काल में अर्जुन द्वारा बाण से पाताल फाड़ कर निकले गए जल (बाण गंगा)से जल लेकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भक्तिभाव से संतुष्ट हुए। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल तैनात रही।
मान्यता है कि महाशिवरात्रि का दिन महाशुभ होता है इसलिए इस दिन से विभिन्न शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है। इनमें गृह प्रवेश, व्यवसाय आरंभ, विभिन्न निर्माण कार्य, पूजा-पाठ आदि कार्य संपन्न किए जाते हैं।ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष के फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में भक्तिभाव से मांगा हुआ वरदान महादेव अवश्य पूरा करते हैं। महाशिवरात्रि पर अपनी बुराइयों को त्याग कर अच्छाइयों को ग्रहण करने का पर्व माना जाता है। इस पर्व पर शिव की आराधना कर समस्त परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।
कहा जाता कि जब इस धरती पर चारों ओर अज्ञान का अंधकार छा जाता है, तब ऐसी धर्म ग्लानि के समय शिव का दिव्य अवतरण इस धरा पर होता है। वास्तव में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व परमात्मा के दिव्य अवतरण की यादगार है।
माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।
प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि भी कहा गया। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है।पूर्व की भांति इस वर्ष भी नंदलाल चौरसिया के नेतृत्व में शिवभक्तों ने मंदिर परिसर की विशेष व्यवस्था संभाले हुए पुण्य के भागी बने।वहीं मंदिर के पुजारी की कार्यशैली से श्रद्धालुओं में आक्रोश रहा।