80 लाख श्रद्धालुओं ने किया स्नान
प्रयागराज (राजेश सिंह)। महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर आखिरी डुबकी के साथ शनिवार को माघ मेले की पूर्णाहुति हो गई। द्वादश माधव की धरा पर शिव की आराधना संगम पर देखे बनी। डुबकी लगाने के साथ ही रेत से शिवलिंग बनाकर श्रद्धालु अर्घ्यदान करते रहे। देर शाम तक मेला प्रशासन ने 8.50 लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का दावा किया। भोर में ही हर हर महादेव के जयघोष से संगम क्षेत्र शिवमय हो गया। रेती पर दीपदान, ध्यान और अनुष्ठान के लिए तांता लगा रहा। गाजे-बाजे के साथ भोले भक्त संगम पहुंच रहे थे। रेती पर शिवलिंग बनाकर महिलाएं पूजन करती रहीं।
घाटों पर हल्दी-चंदन के टीके लगाकर गंगा पूजन करने के साथ ही गंगा मैया के गीत गाए जा रहे थे। पौ फटने के साथ ही संगम जाने वाले मार्गों पर हर तरफ सिर्फ भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी। रेती पर शिव स्वरूपों में लोग विग्रह बनाकर पूजते रहे, तो मेले के आखिरी दिन पांटून पुलों पर आरपार की मालाएं भी मनौती मानने वाली महिलाएं चढ़ाकर धन्य होती रहीं। कहीं मुंडन संस्कार तो कहीं खीर-पूड़ी का भोग भी गंगा माता को लगाया जाता रहा। रेत से बने शिवलिंगों पर संगम तट पर फूलमाला चढ़ाने और आरती उतारने के लिए जगह-जगह भीड़ लगी रही।संतों-भक्तों की टोलियां डुबकी मारकर निहाल होती रहीं।
महाशिवरात्रि पर स्नान के साथ रेती पर दीपदान और गंगा पूजन का सिलसिला घाटों पर एक जैसा था। संगम के अलावा रामघाट, काली घाट, दशाश्वमेध घाट पर भी भोले भक्तों का रेला आखिरी डुबकी के लिए उमड़ता रहा। लोग माथे पर तिलक-त्रिपुंड लगाए लुटिया में गंगा जल भर कर मंजिल की ओर बढ़ते रहे। रेती पर जगह-जगह जप, तप और ध्यान में भी लोग लीन रहे। आखिरी स्नान पर्व पर हर तरफ से श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए बुधवार की शाम को ही वाहनों का प्रवेश संगम क्षेत्र में रोक दिया गया था।
8.50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के माघ मेला के आखिरी स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर संगम में डुबकी लगाने का मेला प्रशासन ने किया दावा।
-02 हजार से अधिक पुलिस, पीएसी,आरएएफ, पुलिस कर्मियों समेत अन्य जवानों ने संभाली सुरक्षा की जिम्मेदारी।
42 दिन तक चले माघ मेले का आखिरी स्नान के साथ समापन।