उमेश पाल की दिनदहाड़े की थी हत्या, कानून के शिकंजे में होगा अतीक अहमद का पूरा कुनबा
प्रयागराज (राजेश सिंह)। क्या मो. असद माफिया पिता अतीक अहमद के खूनी साम्राज्य की विरासत को अपने आपराधिक कृत्य से आगे भी सींच पाएगा। क्या बाहुबली सांसद ने दो बेटों के जेल जाने के बाद तीसरे और सबसे दुलारे बेटे असद को अपनी आपराधिक गद्दी संभालने की जिम्मेदारी सौंप दी है? क्या उमेश पाल और सरकारी गनर पर जीटी रोड पर दिनदहाड़े घेराबंदी करके अपना शिकार बनाने वाले मो. असद ने पिता और परिवार में यह संदेश दिया है कि अभी अतीक के आपराधिक रसूख को खत्म कर पाना मुमकिन नहीं है।
उमेश पाल हत्याकांड में आए नए सीसीटीवी फुटेज में मोहम्मद असद के रूप में जिस युवक की पहचान कराई गई है, उसकी हरकतें देखकर माफिया और उसके परिवार के लिए अब किसी भी प्रकार की कानूनी नरमी की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती दिख रही है।
उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और मोहम्मद अशरफ के साथ-साथ पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटे असद अहमद और एवं एहजम और अवान अहमद का भी नाम आया है। जिन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। इस कार्रवाई के बाद अतीक अहमद का पूरा का पूरा कुनबा कानून के शिकंजे में होगा। बरेली जेल में बंद पूर्व विधायक अशरफ जैसे अपने बड़े भाई का लाडला है। वैसे ही उसने अतीक के बेटे और उमेश पाल के घर पर फायरिंग करते दिखे असद अहमद को भी बना रखा था।
जानने वालों का कहना है कि अशरफ ने असद को फायरिंग करने से लेकर गाड़ी चलाने तक की ट्रेनिंग दी थी। सेंट जोसेफ कॉलेज से पढ़ाई करने वाला असद नाबालिग होने के बाद भी खुद स्कॉर्पियो चलाकर स्कूल जाता था। यही नहीं अतीक अहमद के साढू इमरान के भाई जानू की शादी में आए असद के हर्ष फायरिंग का एक वीडियो भी सामने आया था। बताते हैं कि अशरफ के दुलार में असद को इतना मनवर बना दिया है कि वह सीधे खून खराबे पर उतर आता है।
चाहे जरायम की दुनिया रही हो या फिर राजनीति का अखाड़ा प्रयागराज के कसारी मसारी चकिया के रहने वाले पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद का रुतबा कहीं बौना होता नहीं दिखा। दोनों ही क्षेत्रों में मंझे हुए खिलाड़ी के रूप में अपने मोहरे सेट करने में माहिर अतीक अहमद की एक छत्र विरासत पर उसके भाई मो. अशरफ ने बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या कराकर उसके अभेद्य किले में ऐसा कानूनी सुराग किया कि आज पूरी विरासत ही ढहने के करीब पहुंच गई है।
सवाल उठने लगा है कि क्या माफिया अतीक अहमद की आपराधिक विरासत उसके बेटे असद ने संभाल ली है। असद के ताजा वीडियो के बाद यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कानून की पेचीदगियों का अतीक के कुनबे को लाभ मिल पाएगा या भारतीय दंड विधान की प्रक्रिया उसे और उसके बेटो और भाई के साथ अन्य गुर्गों पर कानूनी चाबुक चलाकर दंड दिला पाएगा। प्रयागराज के केसरिया गांव में जन्मे अतीक अहमद ने 80 के दशक में जरायम की दुनिया में कदम रखा। अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बनने की ललक में इस माफिया ने रंगदारी से लेकर जमीन कब्जा करने रेलवे का ठेका लेने समेत कई वैध और अवैध धंधों से अकूत संपत्ति जुटाई।
बाहुबली के रूप में पहचान बना चुके अतीक अहमद ने 90 के दशक में अपना रसूख बढ़ाने के लिए राजनीति में कदम रखा। शहर पश्चिमी से विधायक बना। विधायकी भी ऐसी की एक बार जीतने के बाद उसने शहर पश्चिमी को अपनी विरासत मान ली। मानता भी कैसे नहीं उसके रूआब और रसूख के आगे कोई खड़ा होने को तैयार जो नहीं था।
वर्ष 2004 की बात है। विधानसभा चुनाव होने वाले थे। समाजवादी पार्टी की ओर से अतीक अहमद का छोटा भाई खालिद अजीम और मोहम्मद अशरफ प्रत्याशी घोषित हुआ था। सांसद बनने के बाद अतिक ने अपनी इस विधानसभा के विरासत अपने भाई को सौंपने की पूरी तैयारी की थी। लेकिन बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने एक मामूली से लड़के राजू पाल को पहाड़ से दिखने वाले अतीक किले के सामने खड़ा कर दिया।
शुरुआती चुनावी रुझानों में राजू पाल कहीं भी मोहम्मद अशरफ के इर्द-गिर्द लड़ाई में नहीं नजर आ रहा था। लेकिन जब मतदान के परिणाम आए तो चौंकाने वाली स्थिति थी। राजू पाल ने अपने किले को अभेद्य मानने वाले अतीक अहमद की शहर पश्चिमी की सियासत पर ब्रेक लगा दी थी। बाहुबली के भाई को राजू पाल ने ऐसी शिकस्त दी थी कि माफिया का पूरा कुनबा बौखला गया था।
25 जनवरी 2005 में नवनिर्वाचित बीएसपी विधायक राजू पाल की धूमनगंज थाना क्षेत्र के ही सुलेमसराय में सरेआम एके-47 से गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसमें राजू पाल के गनर की भी मौत हुई। सरकार सपा की थी। अतीक अहमद मोहम्मद अशरफ और उनके गैंग पर एफआईआर हुई लेकिन सत्ताई हनक के आगे कुछ खास हो नहीं पाया। शहर पश्चिमी में दोबारा चुनाव कराए गए। दूसरी बार भी सपा से मोहम्मद अशरफ चुनावी अखाड़े में उतरा। बीएसपी ने उसके सामने राजू पाल की बेवा पूजा पाल को उतारा।
उसके बाद मोहम्मद अशरफ विधायक बना। लेकिन जब वर्ष 2007 में दोबारा चुनाव हुआ तो उन्हीं पूजा पाल ने अशरफ को उसी शहर पश्चिमी से फिर से पटखनी दे दी। अब आखिरी स्टेज परखैर या तो चुनावी प्रक्रिया हुई लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद से अतीक अहमद के किले में सुराग होना शुरू हो गया। बसपा की सरकार बनने के बाद अतीक और अशरफ के खिलाफ खूब कार्रवाई हुई।
2012 में सपा दोबारा सत्ता में आई तो अतीक के कुनबे को राहत मिली। लेकिन 2017 में प्रदेश की सत्ता की बागडोर बीजेपी के हाथों में आई तो अति गैंग का पतन फिर से शुरू हो गया। अतीक अहमद को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। देवरिया जेल में उसके रसूख का वीडियो वायरल होने के बाद उसे गुजरात के साबरमती जेल ट्रांसफर कर दिया गया। अशरफ को बरेली जेल में रखा गया है।
दोनों भाइयों के जेल जाने के बाद कमजोर पड़ रही राजनीतिक विरासत को संभालने की जिम्मेदारी अतीक अहमद की बेगम शाइस्ता परवीन पर आई। शाइस्ता परवीन के साथ उसके दो बेटे उमर अहमद और अली अहमद साए की तरह खड़े हुए। इन दोनों में भी अतीक और अशरफ बनने की कहीं न कहीं ललक दबी हुई थी। नतीजा सबके सामने है। दोनों भाई दो 2 साल की फरारी के बाद इस समय जेल में बंद है। दोनों पर देवरिया जेल कांड लेकर गुंडागर्दी, रंगदारी और मारपीट के मामले दर्ज हैं। सरकार ने एक-एक करके अधिकांश की संपत्तियों पर कार्रवाई की। उसके घर, आफिस, जमीन समेत सैकड़ों करोड़ की संपत्ति को ज़ब्त किया, ध्वस्त किया, लेकिन अतीक की हनक बरकरार रही।
राजनीतिक मंच पर पत्नी शाइस्ता परवीन ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से जुड़ कर नई पारी खेलने का ऐलान किया। लेकिन उसका यह दाव सफल नहीं हो पाया। जिसके बाद उसने कुछ दिन पहले ही बसपा ज्वाइन की और प्रयागराज से मेयर का चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। जिसके बाद राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या हो गई। जिसमें अतीक के बेटे असद अहमद के साथ - साथ दो अन्य का भी नाम सामने आया है। असद का तो घटनास्थल पर बकायदा फायरिंग करते हुए वीडियो भी पुलिस को मिला है।