माण्डा, प्रयागराज (शशिभूषण द्विवेदी)। मौत तीन तरह की होती है, तीनों तरह के मौतों के बाद भूत का विश्लेषण कुछ पुराणों में है, लेकिन भय से बड़ा भूत कुछ भी नहीं है ।माण्डा के ऊंचडीह गांव में पं राम उजागर शुक्ल के निवास पर शिवार्चन पुराण कथा के चौथे दिन उक्त विचार ब्रह्मलीन स्वामी राजेश्वरानंद जी के कृपा पात्र शिष्य अंकुश जी महाराज ने व्यक्त किया। कहा कि सामान्य मौत में पितर के अलावा अकाल या बातुक मौत में आत्मा प्रेत योनि में जाती है । आहुत मौत कामना पूर्ति न होने पर होती है, जिसमें जीवात्मा मौत के बाद भी 41 दिन तक कामना पूर्ति हेतु भ्रमणशील रहती है । कूर्म व गरुण पुराण में इसका विशेष उल्लेख है । चौथे दिन की कथा में शिव विवाह को रोचक संगीत मयी ढंग से प्रस्तुत किया गया ।
कथा में श्रवण, कीर्तन और मनन साधनों की श्रेष्ठता पर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें मनन के विषय में भगवान शिव की पूजा उनके नामों का जाप तथा उनके रूप गुण विलास के हृदय में निरंतर चिंतन को ही मनन कहा जाता है । महेश्वर की कृपा दृष्टि से उपलब्ध साधन को ही प्रमुख साधन कहा जाता है । दक्ष यज्ञ में सती अपमान पर दक्ष यज्ञ विध्वंस की कथा का वर्णन व शिव विवाह में भगवान शंकर और पार्वती के रुप को भव्यता के साथ प्रदर्शित किया । जिसमें भक्त मनमोहित होकर नाचने लगे । पूरे पण्डाल में हर हर महादेव के नारे लगने लगे। आयोजक पं धर्म प्रकाश शुक्ल (महादेव) व धनंजय शुक्ल ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर क्षेत्र के तमाम गणमान्य सूर्यनाथ द्विवेदी एडवोकेट, इंस्पेक्टर मांडा अरविंद कुमार गौतम, प्रमोद द्विवेदी, सुजीत केशरी, राम शिरोमणि तिवारी, मंडन तिवारी, गुणा केश पांडेय आदि लोग मौजूद रहे ।