देसूरी, राजस्थान (सरदार कर्मपाल सिंह सवाली)। एक तरफ आए दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान सरकार बड़े-बड़े भाषणों के जरिए जन-जन को पेयजल जैसी समस्याओं का समाधान करने और आमजन को अनेक योजनाओं के अंतर्गत विकास और समस्याओं का समाधान करने के दावे कर रहे हैं पर दावे उनके कोरे कागज की तरह साबित हुए इसकी मिसाल। इस बस्ती की समस्या को देश आजाद होने के बावजूद भी पेयजल जैसी सुविधा से भी वंचित चले आ रहे हैं।
कस्बे की बस्ती तहसील के सामने मामाजी नगर मैं लंबे समय से जल संकट गरमाया रोष प्रकट करते हुए पत्रकारों को ग्रामीणों ने बताया आजादी के 75 वर्ष बाद भी इस बस्ती में बड़ी संख्या में ग्रामीण पीने वाले पानी से वंचित ही चले आ रहे हैं लोगों ने बताया इससे पहले भी नेता अधिकारियों को भी इस समस्या के बारे में अवगत करा चुके हैं पर फिर भी कई महीने बीतने के बाद भी इस बस्ती में ना तो हैंडपंप प्रशासन को लगाया है। नाही कोई पनघट योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को सुविधा दी।
ग्रामीणों ने कहा जैसे जैसे हम नेताओं के पास जाते हैं तो वह कहते हैं आप 91 में आते हो आबादी अंतर्गत नहीं हो इसी कारण आपको सुविधा नहीं दी जा सकती जैसे ही चुनाव का समय आता है तो सुबह शाम इसी बस्तियों में इन गरीब आदिवासियों के वोट लेने के लिए दिन रात एड़ीचोटी का जोर लगाकर वोट बैंक लेने आते हैं जैसे ही उनका चुनाव का समय चला जाता है तो इस समस्या को भूल जाते हैं इसी के कारण इस बस्ती के 20 20 घरों की आबादी वाली बस्ती हमेशा वंचित रह जाती है। इसी के कारण लग गरीब आदिवासी जो मेहनत मजदूरी करते हैं वह महंगे दाम पर पानी का मूल्य ट्रैक्टर हर महीने में दो-तीन डलवाने पर मजबूर होते हैं। आम लोगों ने राजस्थान सरकार जिला कलेक्टर और देसूरी प्रशासन से मांग करते हुए कहा इस समस्या का समाधान करने के लिए तुरंत कदम उठाया जाए नहीं तो आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने पर मजबूर होंगे।