मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
यदि आप मेजा अस्पताल में महिला को प्रसव के लिए या बच्चे को इलाज के लिए लेकर जा रहे हैं तो चाय-दूध और भोजन की व्यवस्था खुद अपने स्तर पर ही करके चलें। अस्पताल परिसर में वर्तमान में कैंटीन अक्सर बंद होने से मरीज व परिजन चाय-दूध के लिए जहां तरस रहे हैं,वहीं प्रसव महिलाओं को भोजन की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल परिसर में अन्य कोई कैंटीन की व्यवस्था नहीं की है। अस्पताल में प्रसव तो होते ही हैं, इसके अलावा बच्चों व अन्य मरीज भी उपचार के लिए भर्ती होते हैं। इन्हें अस्पताल में उपचार के लिए दवाओं के साथ-साथ भोजन, दूध-चाय व बिस्किट आदि की भी जरूरत होती है। ऐसे में महिलाओं व बच्चों को तो कैंटीन की जरूरत होती ही है।यहां नव निर्मित कैंटीन की संचालिका की लापरवाही से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,जिसकी शिकायत कई बार अधीक्षक से की गई,लेकिन यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि कहीं गया होगा।जबकि अगर कैंटीन बंद करना है तो अधीक्षक की अनुमति लेनी पड़ती है।लेकिन बिना अनुमति के कई दिनों तक मां शारदा समूह द्वारा प्रेरणा दीदी कैफे की संचालिका शुभावती देवी द्वारा कैंटीन बंद कर दिया जाता है। मरहा की प्रसव पीड़िता प्रियंका पत्नी अंकित प्रजापति को अस्पताल में बच्चा पैदा हुआ।जब उसके परिजन कैंटीन के पास गए तो कैंटीन बंद मिला।इसी तरह रविवार को 4 महिलाओं को प्रसव हुआ ।सभी परेशान रहे।पीड़िता ने बताया कि अधीक्षक भी आज नहीं थे,जिसके कारण स्टाफ नर्स द्वारा शिकायत को नजर अंदाज कर दिया गया। मरीज बताते हैं कि प्रसव पीड़ित महिलाओं को कैंटीन बंद होने से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि अस्पताल में मरीजों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन ने अस्पताल परिसर में एक वर्ष पूर्व प्रमुख मेजा द्वारा कैंटीन की बिल्डिग का निर्माण किया था। जहां पर लाखों रुपये की लागत से काम के हिसाब से कैंटीन बनाई थी और मरीजों की सुविधा के लिए कैंटीन के बाहर लंबा-चौड़ा सैड भी बनाया हुआ है। जो शो पीस बनकर रह गया है।