प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को हाजिर एसटीएफ के अधिकारियों ने बताया कि सरयू एक्सप्रेस 29-30 अगस्त की रात घायल अवस्था में मिली महिला हेड कांस्टेबल के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। शासन ने सात सितंबर को समूचे घटना की जांच एसटीएफ को सौंप दी है। घायल महिला कांस्टेबल का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान भी दर्ज कराया है।
कोर्ट में उपस्थित एसटीएफ के सीओ ने बताया कि धारा 161 व 164 के तहत दिए गए बयानों में भिन्नता है। कांस्टेबल ने दुष्कर्म की बात नहीं कही है। घायल महिला कांस्टेबल की मानसिक स्थिति अभी पूरी तरह ठीक नहीं है। सरयू एक्सप्रेस की जिस बोगी में घटना हुई है, वहां पर अंधेरा था और सीसीटीवी में कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह बात भी आ रही है कि उसका प्रापर्टी को लेकर विवाद चल रहा है। बयान में कांस्टेबल ने किसी को इंगित नहीं किया है। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर एवं जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अधिवक्ता राम कौशिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए एसटीएफ अधिकारी से पूछा कि विवेचना में कितने लोगों को लगाया गया है।
बताया गया कि 26 लोग लगे हैं। मेडिकल बोर्ड का भी गठन किया गया है और मेडिकल जांच में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। कोर्ट से जांच पूरी करने के लिए तीन सप्ताह के और समय की मांग की गई। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए नौ अक्टूबर 2023 की तिथि निर्धारित की है। कोर्ट ने कहा कि उसे जांच टीम पर पूरा भरोसा है।
प्रयागराज में फाफामऊ से सरयू एक्सप्रेस में बैठकर महिला हेड कांस्टेबल ड्यूटी पर अयोध्या जा रही थी। हनुमानगढ़ी में उसकी ड्यूटी थी। रास्ते में मनकापुर से अयोध्या के बीच रात्रि में घटना घटी थी। उसके चेहरे पर वार कर मरणासन्न स्थिति में ट्रेन की सीट के नीचे छोड़ दिया गया था। कोर्ट ने मीडिया में सुर्खी बनी घटना पर रविवार तीन सितंबर की रात सुनवाई की थी और सरकार से जवाब तलब किया था।