मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि यानी रक्षा बंधन के तीन दिन बाद कजरी तीज मनाई जाती है। इस साल कजरी तीज कल यानी 2 सितंबर 2023 को है। कजरी तीज को कज्जली तीज भी कहा जाता है। हरियाली और हरितालिका तीज की तरह कजरी तीज भी अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और करवाचौथ की तरह शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। इस दिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कजरी तीज के दिन विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कजरी तीज व्रत का महत्व और पूजा विधि...
कजरी तीज 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 01 सितंबर 2023 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो रही है। अगले दिन 02 सितंबर 2023 को रात 08 बजकर 49 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार इस साल कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी।
कजरी तीज 2023 पूजा मुहूर्त
कजरी तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 57 मिनट से सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक है। वहीं रात को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 9 बजकर 45 मिनट से रात को 11 बजकर 12 मिनट तक है।
कजरी तीज 2023 की पूजा विधि
कजरी तीज व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके वहां एक चौकी पर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। यह मूर्ति वह मिट्टी से स्वयं बना सकती हैं या फिर बाजार से लाकर स्थापित कर सकती हैं।
इसके बाद वे शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करें, जिसमें वह माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित करें।
भगवान शिव को बेलपत्र, गाय का दूध, गंगा जल और धतूरा अर्पित करें।
इसके बाद शिव-गौरी के विवाह की कथा सुनें।
रात्रि में चंद्रोदय होने पर पूजा करें और हाथ में चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने लेकर चंद्रदेव को जल का अर्घ्य दें।
पूजा समाप्त होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करके उनका आशीर्वाद लें और व्रत खोलें।