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राज्याभिषेक: राम राज बैठे त्रैलोका, हर्षित भए गए सब सोका..

 

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मेजा, प्रयागराज (राजेश शुक्ला)। विजय दशमी के पावन अवसर पर मंगलवार को रावण वध के पश्चात श्रीराम, माता सीता, अनुज लक्ष्मण, महाबली हनुमान, वानर राज सुग्रीव, रीछपति जटायु, अंगद सहित वानर सेना के साथ अयोध्या पधारते हैं, जहां उनका भव्य स्वागत किया जाता है। 

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सोरांव-पांती गांव के रामलीला के अंतिम दिन रावण वध के पश्चात व्यासपीठ से श्यामू शुक्ल ने भगवान जय राम रमा रमनं समनं - भजन की प्रस्तुति की। 

उक्त स्तुति भगवान शिव द्वारा प्रभु राम के अयोध्या वापस आपने के उपलक्ष्य में गाई गई है। जिसके अंतर्गत सभी ऋषिगण, गुरु, कुटुम्बी एवं अयोध्या वासी कैसे अधीर हो कर अपने प्रभु रूप राजा राम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तथा श्री राम के आगमन पर कैसे सभी आनन्दित हैं, श्रीराम अपने महल को चलते है, आकाश से फूलों की वृष्टि होरही है। सब का वर्णन है इस स्तुति में..

जय राम रमा रमनं समनं ।

भव ताप भयाकुल पाहि जनम ॥

अवधेस सुरेस रमेस बिभो ।

सरनागत मागत पाहि प्रभो ॥

दससीस बिनासन बीस भुजा ।

कृत दूरी महा महि भूरी रुजा ॥

रजनीचर बृंद पतंग रहे ।

सर पावक तेज प्रचंड दहे ॥

महि मंडल मंडन चारुतरं ।

धृत सायक चाप निषंग बरं ॥

मद मोह महा ममता रजनी ।

तम पुंज दिवाकर तेज अनी ॥

मनजात किरात निपात किए ।

मृग लोग कुभोग सरेन हिए ॥

हति नाथ अनाथनि पाहि हरे ।

बिषया बन पावँर भूली परे ॥

बहु रोग बियोगन्हि लोग हए ।

भवदंघ्री निरादर के फल ए ॥

भव सिन्धु अगाध परे नर ते ।

पद पंकज प्रेम न जे करते॥

अति दीन मलीन दुखी नितहीं ।

जिन्ह के पद पंकज प्रीती नहीं ॥

अवलंब भवंत कथा जिन्ह के ।

प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह के ॥

नहीं राग न लोभ न मान मदा ।

तिन्ह के सम बैभव वा बिपदा ॥

एहि ते तव सेवक होत मुदा ।

मुनि त्यागत जोग भरोस सदा ॥

करि प्रेम निरंतर नेम लिएँ ।

पड़ पंकज सेवत सुद्ध हिएँ ॥

सम मानि निरादर आदरही ।

सब संत सुखी बिचरंति मही ॥

मुनि मानस पंकज भृंग भजे ।

रघुबीर महा रंधीर अजे ॥

तव नाम जपामि नमामि हरी ।

भव रोग महागद मान अरी ॥

गुण सील कृपा परमायतनं ।

प्रणमामि निरंतर श्रीरमनं ॥

रघुनंद निकंदय द्वंद्वघनं ।

महिपाल बिलोकय दीन जनं ॥

राजा राम, राजा राम,

सीता राम,सीता राम ॥

॥ दोहा: ॥

बार बार बर मागऊँ हरषी देहु श्रीरंग।

पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग॥

बरनि उमापति राम गुन हरषि गए कैलास।

तब प्रभु कपिन्ह दिवाए सब बिधि सुखप्रद बास॥

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भगवान श्री राम के अयोध्या पहुंचने से पूर्व भरत के (करुणक्रंदन) मंचन ने दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। गुरुदेव के आज्ञा के अनुसार श्री राम, सीता, लक्ष्मण सरयू नदी में स्नान कर राजसी वस्त्र -आभूषण पहनकर राजदरबार में पहुंचे, जहां उनका राज्याभिषेक हुआ। 

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