मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
शारदीय नवरात्रि पर्व के तीसरे दिन मंगलवार को देवी मंदिरों,दुर्गा पंडालों में मां चंद्रघंटा के स्वरूप का पूजा कर आरती की गई। वहीं हाथों में नारियल और चुनरी चढ़ाने के लिए सुबह और शाम को मंदिरों में पहुंचे। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते दिखाई दिए।वहीं इस दौरान महिलाओं ने देवी गीत गाए। जिसमें सैकड़ों लोगों ने मां के दरबार में शीश नवाकर मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद ग्रहण किया। इसी क्रम में मेजा स्थित भारतीय स्टेट बैंक कैंपस में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा के समक्ष मुख्य यजमान सपत्नीक राजू केशरी को आचार्य जीतनारायण शुक्ल ने विधि विधान से पूजा वंदना कराई।आचार्य ने बताया कि नवरात्रि का तीसरा दिन साहस और आत्मविश्वास पाने का है। इस दिन हर तरह के भय से मुक्ति भी मिल सकती है। इस दिन माता चन्द्रघण्टा की पूजा की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल कमजोर होता है, उनके लिए माता चंद्रघंटा की पूजा विशेष होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष साधना से व्यक्ति निर्भय हो जाता है।उन्होंने बताया कि
मां चंद्रघंटा के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है।इनकी पूजा करने वाला व्यक्ति पराक्रमी और निर्भय हो जाता है और स्वभाव में विनम्रता आती है।आयोजक मंडल में पंकज मोदी,सक्षम श्रीवास्तव,पाली केशरी,मुकेश मोदनवाल,शनि गुप्ता,हिमांशु मोदनवाल अजय यादव आदि का विशेष योगदान है।