हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज में उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस द्वारा आयोजित दो दिवसीय अधिवेशन की हुई शुरुआत
देशभर के इतिहासकारों ने किया इतिहासपरक दृष्टिकोण पर मंथन
वाराणसी (राजेश सिंह)। शनिवार को उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस द्वारा आयोजित दो दिवसीय अधिवेशन की शुरुआत हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हुई। अधिवेशन का मुख्य विषय "इतिहास: अतीत एवं वर्तमान विषयक अवधारणा" है। दो दिवसीय अधिवेशन के उदघाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो आनंद त्यागी ने कहा कि इतिहास तथ्य व सत्य पर आधारित अतीत और वर्तमान के बीच एक सेतु है।इतिहास की सामग्री, अतीतकालीन ऐतिहासिक तथ्य होते हैं, जो इतिहास व वर्तमान का प्रतिनिधित्व करता है। इतिहासकार और तथ्यों की पारस्परिक भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रो त्यागी ने कहा कि सभी ऐतिहासिक तथ्य अपने युग के प्रतिभागी की ओर से प्रभावित इतिहासकार का व्याख्यात्मक विवरण होता है। यदि तथ्य अतीत का प्रतिनिधित्व करता है तो इतिहासकार वर्तमान का। उन्होंने बताया कि इतिहास हमारे समाज का दर्पण होता है, जो भी समाज में है वह आने वाली पीढ़ी के लिए एक डॉक्यूमेंट है। उन्होंने विश्व के अनेक सभ्यताओं के विलुप्त हो जाने के विषय में भी बताया और बताया कि यह एक इतिहासकार की जिम्मेदारी है कि वह इसके कारणों का पता लगाए। हिन्दुस्तान को ज्ञान की वजह से ही सोने की चिड़िया कहा जाता था। इतिहास के ज्ञान से राष्ट्रीयता की भावना पैदा की जा सकती है। उन्होंने आह्वान किया कि हम सबकी जिम्मेदारी है कि इतिहास का सही स्वरूप बच्चों के सामने प्रस्तुत करे ताकि नई पीढ़ी में राष्ट्रीयता की भावना पैदा हो। उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष प्रो इशरत आलम ने बताया कि विश्व इतिहास लेखन में राज्य और राजनीतिक प्रभाव किस प्रकार दिखता है। चीन और भारत के इतिहास लेखन में राजनीतिक परंपरा के उदाहरण दिए। इतिहास की विधियों जैसे तथ्यपरकता, यथार्थ, वैज्ञानिकता, निष्पक्षता आदि को इतिहास लेखन में लाना चाहिए। इतिहासकार जैसे मार्क्स, माओ, रूसी, जापानी इतिहासकारों का उदाहरण देकर सभी पक्षों का विश्लेषण किया। अधिवेशन को संबोधित करते हुए हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्राचार्य प्रो रजनीश कुंवर ने कहा कि इतिहास वह आइना है, जिसके सामने खड़े होकर हम अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य को साफ-साफ पढ़ सकते हैं। अपने को पहचान सकते हैं। इतिहास अतीत की कहानी मात्र नहीं, अपितु वर्तमान की नींव और भविष्य की कल्पना है। इतिहास मानव जीवन के महान कार्यों का वर्णन है। इतिहास मनुष्य समाज का उसके जीवन के सभी क्षेत्रों का विस्तृत अध्ययन है। प्रो कुंवर ने इतिहासपरक दृष्टिकोण को समझाते हुए कहा कि इतिहास अतीत को वर्तमान से जोड़ता है, हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारी दुनिया और हम कैसे बने। जब हम दुनिया को ऐतिहासिक रूप से देखते हैं, तो हम वर्तमान के बारे में नई अंतर्दृष्टि के लिए खुल जाते हैं और हमारे आस-पास की दुनिया जीवंत हो उठती है।
संस्थापक सचिव प्रो एस एन आर रिजवी ने बताया कि इस मंच की शुरुवात 1885 में हुई इसका उद्देश्य हिंदी भाषा में इतिहास में शोध पत्र प्रस्तुत करने का मंच प्रदान करना है। इस मौके पर इतिहास विमर्श नामक स्मारिका और प्रोफेसर विश्वनाथ वर्मा द्वारा रचित भारत और विश्व की प्राचीन सभ्यताएं नामक पुस्तक का विमोचन हुआ। अधिवेशन दो तकनीकी सत्रों में संपन्न हुई। जिसमे 200 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। अधिवेशन का संचालन प्रोफेसर विश्वनाथ वर्मा एवं डॉक्टर सरला सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर पंकज कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, प्रोफेसर अनिल कुमार, प्रोफेसर ओम प्रकाश श्रीवास्तव, प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह यादव, प्रोफेसर रेनू शुक्ला, डॉक्टर प्रिया सक्सेना, प्रोफेसर सुबोध कुमार, प्रोफेसर जगदीश, प्रोफेसर ऋचा सिंह, प्रोफेसर अनुपम शाही, डॉक्टर शिवानंद, डॉक्टर राम आशीष, प्रोफेसर रागिनी श्रीवास्तव, प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव सभी शिक्षक कर्मचारी वा विद्यार्थी उपस्थित रहे।