रामकथा के दौरान सीता स्वयंवर की कथा सुन गदगद् हुए श्रोता
करछना, प्रयागराज (गजेन्द्र प्रताप सिंह)। रामपुर स्थित बृज मंगल सिंह इंटर कालेज में चल रहे 25वें जमुनापार महोत्सव के पांचवें दिन पहले सत्र में आयोजित काव्योत्सव में मंच पर पहुंचे कवियों ने खूब समां बाधी। राधा शुक्ला द्वारा प्रस्तुत वाणी वंदना के उपरांत प्रतापगढ़ से आये लवलेश यदुवंशी ने कहा, पसीने की कमाई की नकाबें हर समय रखना। तुम अपने बच्चों के हाथों में किताबें हर समय रखना।अभिषेक द्धिवेदी ने अपनी कविताओं से बच्चों को नसीहत दी तो वही संजय पांडेय सरस और सबरेज अहमद ने भी संदेश परक पंक्तियों पर खूब तालियां बटोरी। सुशील शुक्ल हर्ष ने सांस्कृतिक चेतना जागृति कर शौर्य की पंक्तियो पर खूब वाहवाही लूटी। बबलू सिंह बहियारी ने अमर शहीद चंद्रशेखर का अपनी पंक्तियो में वंदन किया। उन्नाव के युवा कवि सुद्धांशु सिंह ने श्रृंगार गीतों पर समां बाधी तो लखन प्रतापगढ़ी ने कहा यदि बच्चे ध्रुव प्रहलाद का इतिहास कहते हैं, तो कृष्ण बनकर पूतना का नाश करते हैं।कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए डा.पीयूष मिश्र पीयूष ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। संयोजक डॉ. बीरेद्र कुसुमाकर रहे और अध्यक्षता डा.राजेद्र शुक्ल ने की। उधर दूसरे सत्र में रामकथा के दौरान सीता स्वयंवर की भावपूर्ण कथा सुनाते हुए व्यासपीठ पर विराजमान स्वामी विनोदानंद जी महराज ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। जनकपुर की वाटिका में पुष्प चुनने गईं जानकी जी और मुनि विश्वामित्र के पूजन हेतु वाटिका से पुष्प लेने गये राम लक्ष्मण के प्रसंग सुन श्रोता गदगद हो उठे। राजेद्र तिवारी उर्फ दुकान जी के मूंछनृत्य ने भी खूब समां बाधी। महोत्सव के संयोजक डॉ.भगवत पांडेय ने कवियों को समाज का संवाहक बताते हुए कथा वाचक और श्रोताओं के प्रति स्वागत आभार प्रकट किया। संचालन मोहिनी श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर संत प्रसाद पांडेय, मुन्नन शु्क्ल, संकठा प्रसाद द्धिवेदी, रमेश द्धिवेदी, विद्याधर मिश्र, भोगाही सिंह, मस्तराम शर्मा, तीरथराज पांडेय, कमला शंकर त्रिपाठी, शिवम पांडेय, पवन कोलहा, जीतेंद्र जलज, कमला शंकर त्रिपाठी, शिवा शुक्ला समेत बडी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।