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रिमझिम फुहारों के बीच कथा पंडाल में बहती रही भक्ति रसधार

SV News

श्रीराम नाम की महिमा का किया बखान

मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। महादेव महावीर सत्संग समिति सोरांव गांव द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के सातवें दिन आसमान से रिमझिम फुहारों के बीच कथा पंडाल में व्यास पीठ से भक्ति की रसधार बह रही थी। कथा शुभारंभ से पूर्व पंडित कौशलेश मिश्रा ने यजमान पूजन व स्वस्ति वाचन के पश्चात अयोध्या काण्ड के राम वन गमन के दृष्टिगत भजन-ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में, दीवानी तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में जदपि भरत तेरो ही जायो,
तेरी करनी देख लजायो, अपनों पद तैने आप गँवायो, भरत की नजरन में, राम-सिया भेज दये री बन में। हठीली तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में। मेहल छोड़ वहाँ नहीं रे मड़ैया, सिया सुकुमारी,संग दोउ भईया, काहू वृक्ष तर भीजत होंगे, तीनों मेहन में, राम-सिया भेज दये री बन में।
हठीली तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में। कौशल्या की छिन गयी बानी, रोय ना सकी उर्मिल दीवानी, कैकेयी तू बस एक ही रानी, रह गयी महलन में, राम-सिया भेज दये री बन में। हठीली तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में। ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में, दीवानी तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में। गुरुवार को कथा के शुभारंभ अयोध्या से पधारे अंतराष्ट्रीय कथा वाचक बालशुक ने कहा-राम नाम की महिमा ही भव से तारने वाली है। समुद्र पर पुल बनाते समय जब रावण सुना कि पत्थर पर राम नाम लिखकर पानी में डालते ही वह तैरने लगता है तो वह भी अपने नाम का पत्थर पानी में डाला तो वह डूब गया, फिर वह राम नाम की शपथ देकर अपने नाम का पत्थर डाला तो वह तैरने लगा। रावण जान गया कि राम में नहीं राम नाम का ही बहुत बड़ा महत्व है। कथा के दौरान श्रीराम और राजा दशरथ की कथा सुनाते हुए कहा कि 16 वर्ष की अवस्था में देखकर राजा दशरथ ने राम को गले से लगा लिया। इसके पश्चात अयोध्या में पधारे विश्वामित्र की कथा का बखान करते हुए चित्रकूट में माता अनसुईया के कुटी में पहुंचे श्रीराम की कथा का श्रवणपान कराया।
उक्त अवसर पर कलट्टर शुक्ल, बालकृष्ण शुक्ला, लक्ष्मी शंकर शुक्ल, पूर्व प्रधान केशव प्रसाद शुक्ल, मीथिलेश शुक्ल, कृष्ण कुमार शुक्ल उर्फ गुरू, द्वारिका प्रसाद शुक्ल, विंध्यवासिनी शुक्ल, श्याम नारायण शुक्ल, कृष्ण कुमार शुक्ल उर्फ नागेश्वर, दिनेश शुक्ल, संतोष शुक्ल, राजू शुक्ल, संजय शुक्ल, विनय शुक्ल, विमल शुक्ल, यतीष शुक्ल, नारायण दत्त शुक्ल, आशीष शुक्ल, अवधेश शुक्ल, मोचन शुक्ल,संदीप शुक्ल, प्रदीप शुक्ल, मुकेश शुक्ल, मनीष शुक्ल, लालबहादुर कुशवाहा, फूल चंद्र कुशवाहा, हजारी लाल, पवन कुशवाहा सहित भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे। 

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