प्रयागराज (राजेश सिंह)। संगम की रेती पर पहली बार माघ मेले में गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का मुद्दा उठेगा। इसके लिए ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिविर में गो-संसद आयोजित की जाएगी। इस गो-संसद को तीन अन्य पीठों के शंकराचार्यों की सहमति मिल चुकी है। त्रिवेणी मार्ग पर बसने वाले ज्योतिष्पीठ के शिविर में गो-संसद के आयोजन के लिए देश भर के शीर्ष संतों, महंतों और महामंडलेश्वरों को बुलावा भेजा जा रहा है।
इसके लिए संतों की सहमति भी ली जा रही। छह फरवरी को शंकराचार्य शिविर में प्रस्तावित इस गो-संसद के लिए द्वारका पीठ, पुरी पीठ और शृंगेरी पीठ के शंकराचार्यों ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। इसके लिए संकल्प पत्र भी भरवाए जा रहे हैं। अब तक उत्तर भारत के अलावा दक्षिण और पूर्वोत्तर समेत कुल 15 से अधिक राज्यों के सनातनधर्मियों , प्रमुख संतों से गो भक्तों ने संपर्क किया है।
अब तक दो लाख से अधिक लोगों ने सहमति पत्र जारी किया है। इसमें अखाड़ों के महामंडलेश्वर और पीठाधीश्वर भी हिस्सा लेंगे। बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी गो माता को राष्ट्र माता घोषित करने के संकल्प पत्र को भरा है और गो -संसद के लिए अपनी सहमति प्रदान की है।
इस अभियान क सफलता के लिए ज्योतिष्पीठ की ओर से देश भर में कुल 37 प्रभारी बनाए गए हैं। इनमें प्रयागराज मंडल के प्रभारी डॉ. एसके योगी योगिराज सरकार बताते हैं कि अब तक दो लाख से अधिक लोगों से संपर्क किया जा चुका है। जबकि, देश के तीन शंकराचार्यों के अलावा तेरहों अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने भी इस गो -संसद में आने की सहमति दी है।
इस गो-संसद में साधु-संतों और धर्माचार्यों की मौजूदगी में गो माता को राष्ट्रमाता घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इस प्रस्ताव की प्रति माघ मेले से केंद्र और राज्य सरकार को लागू करने के लिए भेजी जाएगी। गो-संसद के प्रतिनिधियों और प्रभारियों की बैठक भी हो रह हैं। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य खुद इस अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, ताकि इसे सफल बनाया जा सके।