प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस की ओर से एक बार फिर पैराशूट प्रत्याशी उतारे जाने के आसार बनने लगे हैं। जो नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं उनमें कुछ बाहर के जाने-माने चेहरे हैं। स्थानीय स्तर पर भी दूसरे दलों के नेताओं के नाम की चर्चा है। पिछले चार चुनावों में पार्टी ने दूसरे दल से आए नेताओं पर ही दांव लगाया है। हालांकि, इनमें से कोई जमानत नहीं बचा पाया।
सपा के साथ गठबंधन से कांग्रेस में इलाहाबाद सीट को लेकर उत्साह जरूर है। लेकिन प्रत्याशी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शहर उत्तरी के पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह पर इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़ने का दबाव है। सोमवार को भी वह लखनऊ में थे लेकिन उन्होंने शीर्ष के सामने चुनाव लड़ने में असमर्थता जताई है।
ऐसे में फिल्म अभिनेता संजय दत्त समेत कई अन्य प्रमुख लोगों के नामों की भी चर्चा रही। हालांकि, कहा जा रहा है कि संजय दत्त ने भी चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है। इनके अलावा पार्टी के भीतर चुनाव लड़ने के इच्छुक अन्य नेताओं में लाल बहादुर शास्त्री के पौत्र आदर्श शास्त्री के नाम की भी चर्चा है। इनके अलावा अशोक गहलोत के नजदीकी तथा सोनिया गांधी के साथ काम कर चुके नौकरशाह धीरज श्रीवास्तव, प्रियंका गांधी की टीम का हिस्सा माने जाने वाले विवेकानंद पाठक, प्रमोद पटेल आदि के नामों की चर्चा है।
इन नामों के अलावा दूसरे दलों के कई नेताओं के नाम भी कांग्रेस से चुनाव लड़ने के दावेदारों में शामिल हैं। चूंकि, कांग्रेस ने पिछले चार चुनावों में दूसरे दलों से आए नेताओं पर ही भरोसा जताया था। ऐसे में पैराशूट प्रत्याशी को लेकर चर्चा को और बल मिल रहा है। इन्हें ही प्रबल दावेदार माना जा रहा है। सोमवार को तो इसे लेकर काफी चर्चा रही कि उज्जवल रमण सिंह को टिकट भी मिल गया है। इनके अलावा कांग्रेस और सपा से होते हुए भाजपा में आईं एक महिला नेता के पुत्र का नाम भी कांग्रेस से टिकट के दावेदारों में शामिल है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि उज्जवल को टिकट नहीं मिला तो उन्हें कांग्रेस उतार सकती है। एक प्रमुख राजनीतिक घराने के कद्दावर नेता का नाम भी कांग्रेस के दावेदारों में शामिल हैं। उनका बेटा भाजपा में है लेकिन उनकी तरफ से यह कहते हुए सुना जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस कभी छोड़ी ही नहीं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के माध्यम से वह टिकट पाने की कोशिश में लगे हैं। शहर अध्यक्ष प्रदीप मिश्र अंशुमान का कहना है कि कांग्रेस से टिकट के लिए कई लोगों ने आवेदन किया है। कई बड़े नेताओं इच्छा भी जताई है। इस पर निर्णय शीर्ष नेतृत्व को लेना है।
कांग्रेस ने पिछले चार चुनावों में दूसरे दलों से आए नेताओं पर भरोसा जताया। 2019 में कांग्रेस ने भाजपा से आए योगेश शुक्ला को टिकट दिया था लेकिन वह कांग्रेस से सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों में शामिल हैं। 2014 में पार्टी ने नंद गोपाल गुप्ता को उतारा था, जो बसपा से आए थे। 2009 में श्याम कृष्ण पांडेय कांग्रेस के प्रत्याशी रहे जो भाजपा से आए थे। वहीं 2004 में समाजवादी नेता के तौर पर पहचान रखने वाले सत्य प्रकाश मालवीय को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था।
1999 में डॉ. रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस की उम्मीदवार रहीं। इससे पहले सपा के समर्थन से महापौर चुनी गई थीं। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के वारिश के तौर पर उन दिनों उनकी पहचान कांग्रेस नेता के तौर पर ही रही। यहां गौर करने वाली बात यह है पिछले पांच चुनावों में कांग्रेस टिकट पर दावेदारी करने वाले इन नेताओं में से डॉ.रीता बहुगुणा जोशी, नंद गोपाल गुप्ता नंदी और योगेश शुक्ला अब भाजपा में हैं। वहीं सत्य प्रकाश मालवीय का निधन हो चुका है। ऐसे में फिलहाल श्याम कृष्ण पांडेय ही कांग्रेस में हैं।
लाल बहादुर शास्त्री, विश्वनाथ प्रताप सिंह, हेमवती नंदन बहुगुणा, अमिताभ बच्चन जैसे सांसद देने वाली कांग्रेस इलाहाबाद सीट पर अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रही है। इस कवायद के तहत पार्टी ने पिछले चार चुनावों में दूसरे दलों के नेताओं को टिकट दिया लेकिन किसी की जमानत तक नहीं बची।
1999 में डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को 20.57 प्रतिशत वोट मिले थे और वह जमानत बचाने में सफल रहीं। वहीं 2014 के चुनाव में नंद गोपाल गुप्ता एक लाख से अधिक वोट पाने में सफल रहे लेकिन जमानत नहीं बचा पाए थे और चौथे स्थान पर रहेे। वहीं 2019 के चुनाव में योगेश शुक्ला को मात्र 31956 (3.59 प्रतिशत), 2009 में श्याम कृष्ण पांडेय को 33027 (6.73 प्रतिशत), 2004 में सत्य प्रकाश मालवीय को 40545 (6.18 प्रतिशत) वोट मिले थे।