प्रयागराज (राजेश सिंह)। श्रद्धालुओं ने सोमवार को सोमवती अमावस्या पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर सुख-समृद्धि की कामना की। भोर पहर से ही संगम घाट पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा और गंगा स्नान कर भगवान सूर्य व भगवान विष्णु की आराधना की। मंत्रोच्चारण के साथ श्रद्धालुओं ने घाट पर जल अर्पित कर पूजन किया तथा जरूरतमंदों में अनाज और वस्त्र दान किया।
चैत्र नवरात्र से एक दिन पहले सोमवती अमावस्या सोमवार को पड़ा है। सनातन धर्मावलंबी महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखकर पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटी हैं। सोमवार चंद्र देवता कों समर्पित दिन है। भगवन चंद्र को मन का कारक माना जाता है अतः इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है कि यह मन संबंधित दोषों को दूर करने के लिए उत्तम है।
सोमवती अमावस्या का व्रत रखने वालों को दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। शास्त्रो के अनुसार सोमवती अमावस्या पर चंद्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है।निर्णय सिंधु के अनुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान का पुण्य मिलता है।
पीपल की परिक्रमा करने व उसके स्पर्श से समस्त पापों का नाश, अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति के साथ आयु में वृद्धि होती है। पीपल के पूजन में दूध, दही, मिठाई, फल, फूल, जनेऊ, का जोड़ा चढ़ाकर देशी घी का दीप दिखाना चाहिए। पीपल के चारों ओर 108 बार परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटने का विधान है।