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आजादी के दीवाने की अंतिम सांस, सलामी को जुटेंगे देशभक्त

SV News

मांडा के नरवर चौकठा गंगा घाट पर अंतिम संस्कार आज, 106 वर्ष मे ली अंतिम सांस

मांडा, प्रयागराज। (राहुल यादव)। भारत देश की आजादी मे सलाहकार की अहम भूमिका निभाने वाले आजादी के दीवाने ने अंतिम सांस ले ली। इससे परिजनों समेत समुचे इलाके मे शोक की लहर व्याप्त है। दीवाने  को आखिरी सलामी के भारी तादात मे देशभक्त जुटेंगे। ससम्मान आज उनका गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया जायेगा।
मांडा के बरहा कला गाव निवासी कमलाकांत तिवारी पुत्र माता बंधन तिवारी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। 106 वर्ष की उम्र मे सोमवार को उन्होंने अपने जीवन की आखिरी सांस ली। निधन से परिजनों समेत क्षेत्र मे शोक की लहर व्याप्त है। निधन की सूचना पर मेजा एसीपी रवीशंकर गुप्ता, इंस्पेक्टर मांडा शैलेन्द्र सिंह,चौकी प्रभारी बाबूराम ने मौके पर पहुचें। आज मांडा के नरवर चौकठा गंगा घाट पर ससम्मान उनको आखिरी सलामी दी जाएगी। 
बतादे की स्वतंत्रता सेनानी श्रीतिवारी का जन्म 3 मई सन 1919 मे हुआ था। वह दीघीया गाव के मूल निवासी थे। ढीलिया गाव के स्वतंत्रता सेनानी राजाराम यादव के बेहद करीबी व परम मित्र थे। बीते सन 1932 मे अंग्रेजो से लड़ाई मे ऊँचडीह रेलवे स्टेशन को आग के हवाले किया। मामले मे सहयोगी अन्य सेनानियों को जेल जाना पड़ा। उस् समय श्रीतिवारी भाग निकले थे। गिरफ्तारी व अंग्रेजो के भय से उन्होंने बरहा कला मे दुसरा घर बसाकर गुजर बसर शुरु किया। लेकिन बभनी इलाके मे रेल की पटरी उखाड़ने के मामले मे उन्हें पुलिस ने उरुवा से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। तकरीबन सात माह बाद जेल से छुटकर घर आए। इसके बाद वह अंग्रेजो को चकमा देकर सेनानियों को खबर देते रहे। सन 1971 मे उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ताबे की सील्ड व पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुडा जोशी द्वारा चांदी की बैच लगाकर सम्मानित किया गया। इसके बाद सन 1972 मे इलाहबाद विश्वविद्यालय मे आयोजित एक कार्यक्रम मे सेनानी को गायक के रूप मे मंच पर सम्मान दिया गया। फिर सन 1974 मे तहसील सभागार मे आयोजित कार्यक्रम मे तत्कालीन कलेक्ट्रेट द्वारा गायक के रूप मे पुनः सम्मानित किया गया।
उक्त सेनानी के अनुरोध पर ही पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन ने आंधी वाया कुर्की कला राजमार्ग का निर्माण कराया था। सेनानी के दो पुत्र राजेंद्र प्रसाद तिवारी व राजधर तिवारी सेवानिवृत्त शिक्षक थे। दोनो पुत्रो की देखरेख मे कगातार उनकी सेवा की जा रही थी। 

बिमारी के कारण खाना पानी छोड़ा

बीते वर्ष 2023मे श्रीतिवारी की तबियत अचानक खराब हो गई। तीन दिनों तक उन्होंने पानी तक ग्रहण नही किया। अंतत दोनो बेटों ने इलाज के बाद सेवा कर उन्हें बीमारी के तीसरे दिन जूस पिलाया। फिर धीरे धीरे उनकी हालात मे सुधार हो गया। सात वर्षो पूर्व भी सेनानी की हालात बेहद खराब हो गई थी। बेटों ने इलाहाबाद के निजी अस्पताल मे दाखिल कराया। लेकिन डाक्टरों ने तवियत को लेकर हार मानकर घर भेज दिया। लेकिन बेटों की सेवा से वह पुनः ठीक हो गये थे।

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