Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile Aaradhya beauty parlour

15 हजार से अधिक असलहे दुकानों में जमाकर भूल गए लोग, दुकानदार की हालत खस्ता

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। रसूखदार लोगों के लिए शस्त्र हमेशा शानो-शाैकत का मामला रहा है। शादी ब्याह से लेकर अन्य मौकों पर ताकत के रूप में शस्त्रों का प्रदर्शन भी खूब हुआ है। लेकिन, सख्ती के बाद स्थितियां बदल गई हैं। यहां करीब 15 हजार से ज्यादा लाइसेंसी रहे शस्त्र यहां दुकानों में जमा हैं। वर्षों से इन्हें कोई लेने भी नहीं आया। लाइसेंस धारकों की मृत्यु के बाद वरासत के लाइसेंस लेने की प्रक्रिया बेहद जटिल बना देने से यह स्थिति पैदा हो गई है।
जानसेनगंज में 100 साल पुरानी पीएन विश्वास एंड कंपनी के मालिक वरुण डे बताते हैं, शहर में 20 से अधिक दुकानें हैं। लाइसेंस धारक की मृत्यु के बाद दो महीने में किसी भी दुकान पर शस्त्र जमा कराने का नियम है। अनुमान है कि हर दुकान पर एक हजार से अधिक शस्त्र जमा हैं। दुकान में शस्त्र रखने का प्रतिमाह शुल्क तीन साै रुपये निर्धारित है, लेकिन शस्त्र जमा कराने वाले न किराया देते हैं और न ही इसे ले जा रहे हैं। इनकी हर महीने सर्विस भी की जाती है। ऑडिट में इन शस्त्रों के कागजात और शस्त्र दिखाने पड़ते हैं।
जानसेनगंज में 76 साल पुरानी शस्त्र दुकान चला रहे एएन नियोगी बताते हैं कि कई असलहे 10 से 15 सालों से दुकानों पर ही रखे हैं। किराया भी नहीं मिल रहा। शस्त्र के रखे होने पर लोगों को फोन करते हैं, लेकिन कोई नहीं आता। यह शस्त्र दुकानदारों पर बोझ बन गए हैं।
नियोगी बताते हैं कि कई लाइसेंस धारियों की काेरोना काल में माैत हो गई थी, उनके लाइसेंस भी जमा हैं। उनके घरवाले न तो लाइसेंस ट्रांसफर करा पा रहे हैं और न बेच पा रहे हैं। इस हाल में शस्त्र की सुरक्षा करना दुकानदार की मजबूरी है और दुकानदारी भी दिखावे की। कहने को दुकानों में एक लाख से लेकर छह लाख रुपये तक के असलहे रखे हैं। जमा असलहों में सबसे ज्यादा एक नाली और दोनाली बंदूकें हैं।
शस्त्र विक्रेता बताते हैं कि इस पेशे में न ठसक रही, न ही कोई खास कमाई। इस कारण बच्चों में इस काम को लेकर कोई रुचि नहीं है। बच्चे अब डॉक्टर-इंजीनियर बनना चाहते हैं, अथवा दूसरे पेशे में जाना। यह दुकानें हमारी ही पीढ़ी तक चल रही हैं। आगे तो बंद ही होना है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad