श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह विधि-विधान से हुआ संपन्न
मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। उरुवा विकास खंड अंतर्गत सोरांव गांव में श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह के शुक्रवार सप्तम दिवस अयोध्या धाम से पधारे अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक बालशुक पंडित देव कृष्ण शास्त्री जी महाराज का मुख्य यजमान श्रीमती निर्मला देवी शुक्ला पत्नी गोलोकवासी पंडित त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल व सुपुत्र भूपेन्द्र उर्फ पिंकू शुक्ल ने भागवत भगवान, व्यासपीठ और पुरोहित बबुन्ने ओझा का तिलक व माल्यार्पण कर आरती उतारी।
प्रद्युम्न के जन्म की कथा से सुभारंभ किया। रति और प्रदुम्न का विवाह हुआ। प्रद्युम्न ने संभरासुर का वध किया। भागवत कथा के अंतिम दिन कई प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। इसमें ऊषा चरित्र, नृग चरित्र, वासुदेव नारद संवाद, सुदामा प्रसंग, परीक्षित मोक्ष की कथा का बड़े ही रोचक अंदाज में वर्णन किया।
कथा के दौरान आचार्य जी ने श्रोताओं को भागवत को अपने जीवन में उतारने की अपील की। साथ ही सुदामा चरित्र के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिसाल पेश की। समाज को समानता का संदेश दिया। इस कड़ी में महाराज ने बताया श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, वहीं इस कथा को कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। अंतिम दिन सुखदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद् भागवत भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है और इसे कैसे जीना चाहिए के बारे में भी उपस्थित भक्तों को समझाया। सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की स्थिति को सुधारा। आचार्य ने गो सेवा कार्य करने पर जोर दिया। सुदामा की मनमोहक झांकियो का चित्रण किया गया जिसे देखकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। अंत में कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन किया। महाआरती के बाद भोग वितरण किया गया।
कथा श्रवण के दौरान पूर्व जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी शंकर उर्फ लल्लन शुक्ल, पूर्व प्रधान केशव प्रसाद शुक्ल, पूर्व प्रधान नागेश्वर प्रसाद शुक्ल, पूर्व उपप्रधान नागेश्वर प्रसाद उर्फ कलट्टर शुक्ल, श्याम नारायण उर्फ लोलारक शुक्ल, मेजा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष तुलसीदास तिवारी, बालकृष्ण शुक्ल, श्रीराम शुक्ल, बच्चन पाण्डेय, अमरनाथ पाण्डेय, श्रीकांत द्विवेदी उर्फ लल्लन, लालजी द्विवेदी, संतोष शुक्ल, कृष्णा कांत शुक्ल, रामेश्वर प्रसाद शुक्ल, विनय शुक्ल, अवधेश शुक्ल, मुन्ना पाण्डेय, दयाशंकर मिश्र, मोहन बाबू शुक्ल, लालबहादुर कुशवाहा, विजय शंकर दुबे, कृष्ण कुमार उर्फ नंघेसर शुक्ल, द्वारिका प्रसाद शुक्ल, विंध्यवासिनी शुक्ल, राकेश शुक्ल उर्फ दादा, पप्पू शुक्ल, राहुल तिवारी, राजीव मणिनाथ तिवारी, रविशंकर शुक्ल, योगेश द्विवेदी, अवधेश शुक्ल, शंभू प्रजापति, झल्लू राम प्रजापति सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।