प्रयागराज (राजेश सिंह)। बेटे की मंगलकामना और परम सौभाग्य के लिए चार दिनी सूर्यषष्ठी, डाला छठ व्रत की शुरुआत पांच नवंबर से होगी। लेकिन, व्रत को लेकर घरों में जबर्दस्त उत्साह है। पहला दिन नहाय-खाय के नाम रहेगा। बुधवार को खरना की थाली में सिंदूर और घी मिलाकर सूर्यचक्र बनाकर मिट्टी के दीये पर प्रसाद रखा जाएगा। कलश पर धूप, दीप और मीठी चीज रखकर सिंदूर लगाया जाएगा।
बृहस्पतिवार को कमर भर पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य और अगले दिन शुक्रवार को उगते को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं पारण करेंगी। कटरा की नंदिता तिवारी कहती हैं कि शाम को व्रती महिलाएं चने की दाल, कट्टू, अरवा चावल, गेहूं की रोटी और बिना नमक सादा भोजन करेंगी। व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे बनाकर उसी पर भोजन पकाएंगी।
छठ की दस्तक के साथ ही डाला सजाने की तैयारी भी शुरू हुई। गवर्नमेंट प्रेस सब्जी मार्केट से लेकर अलोपीबाग, बैरहना, मीरापुर, कटरा, मुट्ठीगंज, गऊघाट, प्रीतमनगर, बक्शी बांध समेत कई जगहों पर पूजा सामग्री की दुकानें लगीं और व्रती महिलाओं ने जरूरत की चीजें खरीदीं। कर्नलगंज की बिमला यादव ने कहा किक सूप यानी डाला की खरीद के साथ ही डाला में रखने के लिए पत्ते वाली हल्दी, कट्टू, गन्ना, मूली, गाजर, शरीफा, मुसम्मी, नींबू, नारियल, गाजर, अदरक आदि चीजें खरीदी गईं।
आचार्य डॉ.अमिताभ गौड़ के मुताबिक मान्यता है कि सूर्यषष्ठी व्रत रखने से सूर्य के समान ही तेजस्वी, स्वभाव से सरल व दीर्घायु वाले पुत्र के साथ ही सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सूर्यषष्ठी व्रत पर संगम नोज पर तैयारी की जा रही है। श्रद्धालुओं के लिए टेंट लगाया जा रहा है। पूर्वांचल छठ पूजा समिति के संयोजक अजय राय के मुताबिक पर्व के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।