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संगम स्नान से पहले पति की बाहों में तोड़ा दम

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कुम्भनगर (राजेश शुक्ल)। ‘सारे तीर्थ हमने साथ किए, लेकिन संगम स्नान से पहले ही यह मेरा साथ छोड़कर चली गई। अब किसके लिए जियूंगा।’ ये सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि जज्बात हैं महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के नारायण प्रसाद तिवारी के। उन्होंने शनिवार को अपनी 35 साल तक साथ रही जीवन संगिनी रेखा को खो दिया है।

62 साल के नारायण प्रसाद तिवारी पत्नी रेखा (60) और परिवार वालों के साथ महाकुंभ में स्नान करने के लिए शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे महाराष्ट्र से निकले थे। 6 घंटे तक जाम में फंसने के बाद शनिवार सुबह 5 बजे के आस-पास संगम पहुंच गए। स्नान करने के लिए गाड़ी से उतरे ही थे कि रेखा को सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी। सांस लेने में दिक्कत के बाद उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे। जाम की वजह से पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। सांस लेने में दिक्कत के बाद उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे। जाम की वजह से पहुंचने से पहले ही मौत हो गई।

जाम की वजह से अस्पताल पहुंचने में लगे 3 घंटे

उन लोगों ने बिल्कुल भी वक्त जाया न करते हुए रेखा को तुरंत गाड़ी में बैठाया और अस्पताल ले जाने लगे। लेकिन, शहर में लगे जाम की वजह से इस परिवार को अस्पताल पहुंचने में करीब 3 घंटे लग गए। इस बीच रेखा की गाड़ी में ही मौत हो गई। परिवार के सदस्यों को लगा कि रेखा बेहोश हो गई हैं। नारायण लगातार रेखा का सिर अपनी गोद में रख उनसे बात करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थीं। पहले रेखा को जीवन ज्योति अस्पताल ले जाया गया, वहां से उनको ैत्छ रेफर कर दिया गया। हालांकि, परिवार वालों को पहले ही पता चल गया था की रेखा अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन, नारायण को यह बात नहीं बताई गई थी। बाद में नारायण प्रसाद को पता चला कि पत्नी रेखा की मौत हो गई है। रेखा के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया जा रहा था, लेकिन नारायण ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हमको हमारी पत्नी ऐसे ही दे दीजिए। इसके बाद वह फूट-फूट कर रोने लगे।

प्रयागराज में जाम से अस्पताल पहुंचना भी चुनौती से भरा

प्रयागराज में सारे रास्तों पर महाकुंभ के कारण काफी लंबा जाम लग रहा है। इसकी वजह से कई बार इमरजेंसी में मरीज को अस्पताल पहुंचाना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। नारायण ने बताया- मेरे बच्चों की शादी हो चुकी है। बेटे-बेटी और नाती-पोतों से भरा-पूरा परिवार है। लेकिन, पत्नी के ऐसे साथ छोड़े देने से अकेला रह गया हूं। महाराष्ट्र में मेरी किराने की दुकान है, जिसे पूरा परिवार मिलकर संभालता है। उन्होंने कहा- हमने पत्नी से कहा था कि जब तक हाथ-पैर सलामत हैं, तीर्थ कर लेते हैं। आगे समय कैसा आता है, हम नहीं कह सकते। जब-जब साथ मिलता था, हम दोनों पति-पत्नी एक साथ तीर्थ पर निकल जाते थे। हम साथ में काफी खुशहाल थे। हमें किसी चीज की कोई कमी नहीं थी।

पुलिस ने भी नहीं की कोई मदद

नारायण के एक रिश्तेदार ने बताया- अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में पुलिस से मदद मांगी, लेकिन किसी ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया। हमने पुलिस से कहा कि एक ऑटो ही करवा दो, महिला है चल नहीं पा रही। इमरजेंसी में अस्पताल ले जाना पड़ रहा है, लेकिन किसी ने नहीं सुना। किसी ने ध्यान तक नहीं दिया।

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