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बांग्लादेश में उपद्रव के दौरान शेख मुजीब के आवास में आगजनी, आवामी लीग पर बैन की मांग

 

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नई दिल्ली/बांग्लादेश। बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा और चिंगारी भड़क उठी है। राजधानी ढाका में सड़कों पर उतरे आक्रोशित लोग आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने ढाका में शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर तोड़-फोड़ भी की। 

बांग्लादेश में एक बार फिर अशांति फैलने की आशंका है। खबर है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक ऑनलाइन भाषण के बाद ढाका में उपद्रवियों ने शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर जमकर तोड़-फोड़ की। हालांकि, प्रशासन की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उपद्रव कर रहे लोगों ने शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर तोड़-फोड़ के अलावा आगजनी भी की।

कहां हुई हिंसा, शेख हसीना को फांसी देने की मांग

कुछ खबरों के मुताबिक सोशल मीडिया पर आवामी लीग के छात्र संगठन- बांग्लादेश छात्र लीग ने श्बुलडोजर जुलूसश् निकालने का एलान किया था। रात 9 बजे के आसपास आहूत इस जुलूस के दौरान अपदस्थ पीएम शेख हसीना को ऑनलाइन संबोधित भी करना था। हालांकि, बुधवार देर रात हजारों की संख्या में आए उपद्रवियों ने बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के ढाका स्थित धनमंडी-32 आवास पर हमला कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक आगजनी और तोड़फोड़ को रोकने के लिए स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने रात करीब आठ बजे हमला किया और नारेबाजी के दौरान शेख हसीना को फांसी देने की मांग भी की।

ढाका की सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। घटना की वीडियो में देखा जा सकता है कि शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर उपद्रव के दौरान जमकर नारेबाजी भी हो रही है। कई लोगों को मोबाइल कैमरे की मदद से वीडियो रिकॉर्ड करते भी देखा गया। 

बता दें कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली पार्टी- आवामी लीग कुछ महीने पहले ही सत्ता से बेदखल हुई है। हालात इतने बिगड़े की हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा। राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे भारत के इस पड़ोसी मुल्क की कमान फिलहाल मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के पास है। इस सरकार का कहना है कि वे शेख हसीना को बांग्लादेश लाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में भारत से प्रत्यर्पण की अपील भी की गई है।

शेख हसीना के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, भारत से प्रत्यर्पण की मांग

गौरतलब है कि बांग्लादेश में बीते साल बड़े पैमाने पर हिंसा भड़की थी। आलम ये हुआ कि शेख हसीना को जान बचाकर भागना पड़ा। अंतरिम सरकार के सलाहकार के रूप में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के पदभार संभालने के बाद मुकदमेबाजी का दौर भी शुरू हुआ। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के आरोप में अपदस्थ पीएम हसीना और उनके कार्यकाल में सहयोगी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और असैन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया। इसी सिलसिले में बांग्लादेश दिसंबर, 2024 और जनवरी के अंतिम हफ्ते में शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को लेकर भारत के पास राजनयिक नोट भी भेज चुका है। अंतरिम सरकार ने कहा कि सफलता मिलने तक हसीना को बांग्लादेश लाने के प्रयास जारी रहेंगे। जरूरत हुई तो अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की अपील भी की जाएगी।

76 साल की च्ड का कार्यकाल सबसे लंबा, लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनीं

बात बांग्लादेश की सियासत की करें तो 76 वर्षीय हसीना बांग्लादेश में सबसे लंबे कार्यकाल वाली प्रधानमंत्री रही हैं। इनका पहला कार्यकाल 1996 से 2001 तक रहा था। इसके बाद आवामी लीग 2009 से 2014 तक सरकार में रही। 2014 के बाद लगातार तीन कार्यकाल पूरा करने वाली पीएम शेख हसीना का कार्यकाल 2023 में हिंसा और जनाक्रोश के कारण कठघरे में रहा। इस साल की शुरुआत में अमेरिका समेत कई प्रमुख पश्चिमी देशों ने समावेशी और विश्वसनीय चुनाव का आह्वान किया था। हालांकि, सत्तारूढ़ अवामी लीग और खालिदा जिया की विपक्षी पार्टी के बीच संवाद की अपील बेअसर साबित हुई। दोनों ही पक्षों ने इसमें कोई रूचि नहीं ली। फिलहाल व्यापक हिंसा के कारण बांग्लादेश आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना गत वर्ष जनाक्रोश बढ़ने के बाद पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। देश छोड़ने के बाद हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेख हसीना के खिलाफ अब तक 225 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें हत्या के 194, मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार के 16 मामले, अपहरण के तीन मामले, हत्या के प्रयास के 11 मामले शामिल हैं। प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल- ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ की रैली पर हमले के संबंध में भी एक मामला दर्ज किया गया है।

यह भी दिलचस्प है कि विरोधी खेमा शेख मुजीब और उनकी बेटी शेख हसीना पर फासीवादी नीतियों को अपनाने का आरोप लगाता है। मोहम्मद यूनुस सरकार बांग्लादेश छात्र लीग को प्रतिबंधित भी कर चुकी है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में हुई व्यापक हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के दौरान 750 से अधिक लोग मारे गए। हजारों लोग हताहत भी हुए। देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की कई खबरों को लेकर भारत ने भी चिंता जाहिर की। यहां तक कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री को भी ढाका दौरा कर शांति की अपील करनी पड़ी। अब नजरें हसीना के प्रत्यर्पण और भारत के अंतिम फैसले पर टिकी हैं।

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