Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

त्रिवेणी में डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के बंधन से मिलती है मुक्ति: डॉ अशोक हरिवंश

 

sv news

श्री राघव सेवा समिति पंडाल में राम कथा और त्रिवेणी महात्म्य की दिव्य गूँज

भक्ति और आस्था से सराबोर हुआ माहौल

मेजा , प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। प्रयागराज महाकुंभ मेला, प्रयागराज के सेक्टर-23 संकट मोचन मार्ग पर स्थित श्री राधव सेवा समिति पंडाल में भक्ति और आध्यात्म की गंगा प्रवाहित हो रही है। यहां प्रसिद्ध कथा वाचक डॉ. अशोक हरिवंश (भैया जी) तेंदुआ धाम, छत्तीसगढ़ श्रद्धालुओं को लगातार पांच दिन से राम कथा और महाकुंभ के महात्म्य का रसपान करा रहे हैं। कथा के दौरान त्रिवेणी संगम, रामायण के प्रसंगों और धर्म के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। डॉ. अशोक हरिवंश ने बताया कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का एक दिव्य अवसर है। यह सनातन परंपरा का सबसे बड़ा संगम है, जहां करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में स्नान कर अपने जीवन को पवित्र बनाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तीन पवित्र नदियों का मिलन स्थल है । गंगा जी मोक्ष भक्ति  और पवित्रता का प्रतीक हैं।यमुना जी कर्म और प्रेम की प्रतीक हैं।सरस्वती जी ज्ञान और बुद्धि का स्रोत हैं। बताया कि महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी में एक डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के बंधन समाप्त हो जाते हैं और आत्मा को शुद्धि व ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

राम कथा के दौरान श्रीराम के चरित्र और उनके आदर्शों को अपनाने का संदेश दिया गया। और कहा कि श्रीराम ने माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वनवास स्वीकार किया, जिससे संस्कार और समर्पण की सीख मिलती है। श्रीराम ने भक्ति और प्रेम का सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया जब उन्होंने शबरी के जूठे बेर प्रेमपूर्वक खाए । श्रीराम ने अधर्म और अहंकार के प्रतीक रावण का संहार कर सत्य और धर्म की विजय सुनिश्चित की।

त्रिवेणी संगम और राम कथा दोनों ही आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के महत्वपूर्ण साधन हैं।

कथा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, सभी भक्तिमय होकर कथा का रसपान कर रहे हैं और धर्म एवं सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा ले रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad