नीदरलैंड। ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा ने आठ घंटे के विश्व स्तरीय प्रदर्शन वाले इस तरह के ‘अजीब दिन’ की कल्पना नहीं की थी जिसके बाद उन्होंने मौजूदा विश्व चौंपियन डी गुकेश को हराकर अपना पहला टाटा स्टील शतरंज खिताब जीत लिया। प्रज्ञानानंदा ने मुकाबले के बाद कहा, ‘‘यह बहुत लंबा था, करीब आठ घंटे, पहली बाजी ही लगभग साढ़े छह घंटे तक चली और फिर ब्लिट्ज बाजी, यह एक अजीब दिन था।’’ उन्होंने इस जीत के प्रभाव के बारे में कहा, ‘‘शतरंज की दुनिया में यह एक बहुत ही खास प्रतियोगिता है और मैंने बड़े होते हुए इस टूर्नामेंट के मुकाबले देखे हैं।’’
भारतीय ग्रैंडमास्टर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मेरे खेल में यह दिखा कि मैं सभी बाजियों में लड़ने की कोशिश को लेकर काफी महत्वाकांक्षी था इसलिए हमने कई नतीजे वाली बाजियां देखीं।’’ प्रज्ञानानंदा ने छह बाजी जीती और पांच ड्रॉ खेली। उन्हें दो बाजियों में हार का सामना करना पड़ा। अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में प्रज्ञानानंदा ने कहा कि वह प्राग मास्टर्स में प्रतिस्पर्धा करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता था कि पिछले छह महीनों में क्या गलत हुआ और मुझे पता था कि मुझे किस चीज पर काम करने की जरूरत है। मैं इसमें बेहतर होने की कोशिश करता रहूंगा। मैंने इस टूर्नामेंट के लिए (अपने खेल में) कुछ चीजें बदली और यह काम कर गया।’’ टाईब्रेकर की शुरुआती दो बाजियों में से प्रज्ञानानंदा ने एक गंवाई और फिर दूसरी बाजी जीती। उन्होंने कहा कि उन्हें पहली बाजी ड्रॉ करानी चाहिए थी। दूसरी बाजी में गुकेश अच्छी स्थिति में थे लेकिन धीरे-धीरे वह पिछड़ गए।
तीसरी और निर्णायक बाजी में प्रज्ञानानंदा ने फिर से अपने सफेद मोहरों के साथ रक्षात्मक रुख अपनाया लेकिन फिर कुछ अच्छे मूव बनाए और गुकेश इसके बाद अति महत्वाकांक्षी हो गए और संभवतरू ड्रॉ होने वाली बाजी को हार गए। जर्मनी के विन्सेंट कीमर के खिलाफ गंवाई बाजी में अपनी गलतियों के बारे में बात करते हुए प्रज्ञानानंदा ने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ अजीबोगरीब हरकतें कीं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे वह स्थिति (बीच के समय का खेल) पसंद थी और फिर मैंने कुछ अजीबोगरीब हरकतें करनी शुरू कर दीं। इस समय मैंने देखा कि गुकेश हार गया है लेकिन फिर मैं इस स्थिति में बैठकर और इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था। मैं हार नहीं मान सकता, मैं कोई चाल नहीं चल सकता था। मुझे बस इंतजार करना था और पीड़ा सहनी थी। यह बहुत निराशाजनक था।
38वें नेशनल गेम्स का आयोजन हो रहा है। सोमवार को पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल इवेंट का आयोजन हुआ जहां बड़ा उलटपेर देखने को मिला। ओलंपिक मेडलिस्ट सरबजोत सिंह पोडियम पर जगह नहीं बना पाए। वहीं कर्नाटक के 15 साल के जोनाथन एंथनी गाविन ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।
उत्तराखंड में 38वें नेशनल गेम्स का आयोजन हो रहा है। सोमवार को पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल इवेंट का आयोजन हुआ जहां बड़ा उलटपेर देखने को मिला। ओलंपिक मेडलिस्ट सरबजोत सिंह पोडियम पर जगह नहीं बना पाए। वहीं कर्नाटक के 15 साल के जोनाथन एंथनी गाविन ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।
10 मीटर एयर पिस्टल के इवेंट में कॉमवेल्थ और एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट सौरभ चौधरी, पेरिस ओलंपिक मेडलिस्ट सरबजोत सिंह जैसे बड़े नाम शामिल थे। हालांकि, दोनों में से कोई भी पोडियम पर जगह नहीं बना पाया। सौरभ चौथरी फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाए और 9वें नंबर पर रहे। टोक्यो ओलंपिक के बाद से सौरभ वापसी की कोशिश में लगे हुए हैं लेकिन वह फिर से फॉर्म हासिल नहीं कर पाए हैं।
फाइनल में हरियाणा और सर्विसेज के 3-3 खिलाड़ी शामिल थे। जोनाथन गाविन ने यहां 240.7 के स्कोर के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वह इस इवेंट के सबसे युवा चौंपियन बने। गाविन ने पहले स्टेज में 99.1 का ही स्कोर हासिल किया था। हालांकि, इसके बाद दूसरे स्टेज में उन्होंने जबरदस्त वापसी की। जोनाथन ने इससे पहले नेशनल शूटिंग चौंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता था। सर्विसेज के रविंदर सिंह 240.3 अंक के साथ सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे। वहीं सर्विसेज के ही गुरप्रीत सिंह ने 220.1 के स्कोर के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम करने में कामयाब रहे।
पेरिस ओलंपिक में मिक्स्ड टीम इवेंट में मनु भाकर के साथ सरबजोत सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। नेशनल गेम्स के इस फाइनल में उनसे काफी उम्मीदें थी लेकिन वह पोडियम पर नहीं पहुंच पाए। सरबजोत को चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा।
वहीं 50 मीटर थ्री पॉजिशन राइफल फाइनल में पंजाब की शूटर्स का दबदबा रहा। सिफ्त कौर सामना गोल्ड मेडलिस्ट रही। एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली सामरा ने 461.2 का स्कोर हासिल किया और गोल्ड जीता। वहीं दिग्गज अंजुम मोद्गिल ने 458.7 के स्कोर के साथ सिल्वर मेडल जीता। वहीं ब्रॉन्ज मेडल तेलंगाना की सुरक्षि भारद्वाज के नाम रहा।