लखनऊ। भाजपा के संगठनात्मक चुनाव होने के बाद योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। इस चर्चा को बल तब मिला जब राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने शुक्रवार को बंद कमरे में प्रदेश के कई शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात की। उन्होंने प्रदेश के कई नेताओं से इसको लेकर चर्चा की।
योगी मंत्रिमंडल में शामिल रहे जितिन प्रसाद और अनूप प्रधान के सांसद बनने से दो मंत्री पद रिक्त चल रहे हैं। चार और मंत्री सरकार में बनाए जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी इन नेताओं से चर्चा की और उनका पक्ष जानने की कोशिश की।
भाजपा नेतृत्व यह भी जानने की कोशिश कर रहा है कि किन जातियों को सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जाए। किसका प्रतिनिधित्व कम है यह भी देखा जा रहा है।
कील-कांटे दुरुस्त करने में जुटी भाजपा
जिलाध्यक्षों की घोषणा से पहले भाजपा सभी कील-कांटे दुरुस्त करने में जुट गई है। ज्यादा से ज्यादा जिलों में जातीय व सामाजिक समीकरण साधते हुए जिलाध्यक्षों की घोषणा पार्टी करना चाहती है।
पार्टी यह भी चाहती है कि आम सहमति के आधार पर इनका चयन हो। जिलाध्यक्ष की घोषणा के बाद पार्टी में किसी भी स्थान पर विरोध जैसी स्थिति उत्पन्न न हो। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय महामंत्री व प्रदेश संगठन चुनाव के पर्यवेक्षक विनोद तावड़े शुक्रवार को अपने दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ पहुंचे। उन्होंने यहां संगठन व सरकार के कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर उनकी नब्ज भी टटोली।
भाजपा ने प्रदेश को संगठनात्मक दृष्टि से 98 जिलों में बांटा हुआ है। इनमें से करीब 70 जिलाध्यक्षों पर आम सहमति बन गई थी। इसे जब केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजा गया तो उसमें जातीय व सामाजिक समीकरण के साथ ही महिलाओं की कम भागीदारी होने पर हरी झंडी नहीं मिल पाई।
इसी मसले को सुलझाने के लिए विनोद तावड़े शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे और उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी व महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से मुलाकात की।
इसके अलावा उन्होंने दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही से अलग-अलग मुलाकात कर उनसे चर्चा की।
आम सहमति से घोषित हो जिलाध्यक्ष
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह चाहता है कि जिन जिलों में कोरम पूरा हो गया है वहां आम सहमति से जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया जाए। केवल उन्हीं जिलों को छोड़ा जाए जहां अभी मंडल अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो सकी है। विवाद वाले जिलों को भी आम सहमति से सुलझाने के लिए कहा गया है।
स्थिति यह है कि प्रदेश के क्षत्रप अपने अपने खास लोगों को जिला व महानगर अध्यक्ष बनाना चाहते हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है। शनिवार को एक बार फिर से बैठकों का दौर चलेगा। उम्मीद की जा रही है कि अगले दो-तीन दिनों में जिलाध्यक्षों की घोषणा हो सकती है।