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बलिया के विनोद मिश्र अब तक दो करोड़ से अधिक बार लिख चुके राम नाम

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कुंभ नगर (राजेश शुक्ल) । सरयू से गंगा तट तक हर दिन शब्द-शब्द गढ़ते हैं। लिखते हैं सकल ब्रह्मांड में निहित, चराचर में विराजमान स्वयं ब्रह्म का नाम। 19 वर्ष पहले राम नाम लिखना शुरू किया था, अब तक दो करोड़ से अधिक बार राम नाम लिख चुके हैं। वह जो भी शब्द लिखते हैं वह राम नाम होता है।

कैलीग्राफी के जरिए महीन अक्षरों में राम-राम लिखकर दोहे और चौपाई भी लिखते हैं। हनुमान शिव, दुर्गा जी समेत 33 चालीसा व सुंदरकांड भी लिख चुके हैं। शब्दों से ही वह तस्वीरें बना देते हैं और जगाते हैं अध्यात्म। “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते” अर्थात, योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं और इस शब्द को जीवंत कर रहे हैं बलिया के रहने वाले राम भक्त विनोद मिश्रा।

2006 के प्रयाग मेले के दौरान एक संत की प्रेरणा से विनोद ने अपनी भरी-पूरी गृहस्थी को तिलांजलि देकर राम नाम की साधना शुरू की। सीआरपीएफ की नौकरी छोड़ी और बन गए राम भक्त। वे नित्य क्रिया से निवृत्त होकर पूरे-पूरे दिन राम नाम लिखते है।

इस अनुष्ठान को पूर्ण करने के लिए नदियों के तट पर ही निवास करते हैं। कहते हैं राम अध्यात्म हैं, मर्यादा हैं, प्रेम हैं, जीवन के उत्सव और आनंद हैं। महाकुंभ में यमुना नदी के किनारे पीपल के पेड़ के नीचे पिछले एक माह से लेखन जारी है।

विनोद मिश्रा बताते हैं कि हरिद्वार में गंगा तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा के किनारे और नाशिक में गोदावरी के तट पर राम लिखने का कार्य जारी रहा। अयोध्या अगर बाहर निकला तो नदियों का किनारा ही ढूंढता हूं, क्योंकि वह मां हैं और तट उनका आंचल। उम्र 64 हो चुकी है। पर मन का उल्लास किशोर है।

महाकुंभ की कृति इस समय नवीन लेखन है। जिसमें पीएम मोदी और सीएम योगी का भी नाम है। अभी उसे वह आकार दे रहे हैं। राम नाम से उसे अद्भुत बना रहे हैं। उनकी कई कृतियां लखनऊ कालेज आफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट की प्रदर्शनी में भी लगाई गई। विनोद कहते हैं मैं तो अपने जीवन का लक्ष्य पूरा कर रहा हूं, राम नाम लिख रहा हूं।

यूट्यूब पर सैकड़ों वीडियो, मिली पहचान राम भक्त

विनोद मिश्रा, यह नाम अब इंटरनेट मीडिया पर खूब प्रसारित है। सैकड़ों की संख्या यूट्यूबर्स ने विनोद मिश्रा की बातचीत, उनकी राम नाम की कृतियां, उनका कठिन जप-तप और दिनचर्या अपलोड की है। उनके इस अद्वितीय प्रयास ने न सिर्फ नई पहचान दे दी, बल्कि ऊर्जा से भर दिया है। कई कांपियों के साथ सैकड़ों पेज पर कृतियां बना चुके हैं।

विनोद मिश्रा बताते हैं कि 1993 में वह सीआरपीएफ में भर्ती हुए और वर्ष 2000 में नौकरी छोड़ दी। रायगढ़ में गार्ड की नौकरी लेकिन वहां भी रुक नहीं पाए। पारिवारिक कलह, मानिसक अशांति के बीच 2006 में प्रयागराज के माघ मेले में पहुंचे। यहां एक संत ने राम नाम के जाप के लिए प्रेरित किया और फिर बदल गया जीवन।

विनोद सुंदर कलाकृति व डिजाइनों के साथ अन्य भगवान के नामों के बीच राम का नाम लिखते हैं। पीएम मोदी, योगी के नाम और प्रशंसा पत्र भी राम नाम से ही लिखते हैं। कहते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र बन जाए, ऐसी कामना करता हूं।


झोला, कांपियां और पेन हीं पूजी

विनोद मिश्रा के पास एक बड़ा खादी का झोला है, जिसमें उनकी कुछ कृतियां हैं। कापी और पेन है और यही उनकी पूंजी। किसी ने कुछ खाने को दे दिया तो खा लिया, नहीं तो जिस नदी के तट पर हैँ उसका पानी पीकर सो गए। वह राम नाम की ही सिद्धी चाहते हैं। उनके हर लेखन में भक्ति, राष्ट्रीयता के संवाद और कोट मिलेंगे।

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