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होली बाद भाजपा को महानगर, यमुनापार एवं गंगापार का अध्यक्ष मिलना तय

SV News

नए चेहरों को मिल सकती है जगह

प्रयागराज (राजेश सिंह)। दिल्ली विधानसभा चुनाव और महाकुंभ संपन्न होने के बाद सभी की निगाहें भाजपा प्रदेश संगठन पर टिकी हैं।बताया जा रहा है कि होली बाद प्रयागराज महानगर, यमुनापार एवं गंगापार के जिलाध्यक्षों के नामों का एलान किया जा सकता है।
पार्टी नेताओं ने इस बात के भी संकेत दिए हैं जिलाध्यक्षों के चयन के जरिये पार्टी सभी सियासी और जातीय समीकरण को भी साधेगी। 2027 की शुरुआत में ही यूपी विधानसभा का चुनाव है। पिछले वर्ष विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने भले ही बेहतर प्रदर्शन किया हो। लेकिन, लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आया। इसे लेकर तमाम समीक्षाएं भी हुईं।
प्रयागराज की ही बात करें तो फूलपुर लोकसभा सीट भाजपा किसी तरह से बचाने में कामयाब हो सकी। जबकि, इलाहाबाद संसदीय सीट पार्टी से फिसल गई। समीक्षा में महानगर, यमुनापार एवं गंगापार संगठन की भूमिका पर तमाम सवाल भी खड़े किए गए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी महानगर, यमुनापार एवं गंगापार में अध्यक्ष बदल सकती है।
यहां के अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी रिपोर्ट में अध्यक्ष बदले जाने की सहमति दी है। प्रयागराज महानगर की बात करें तो यहां अगड़ी जाति का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। महानगर अध्यक्ष के लिए यहां से कुल 96 आवेदन आए हैं। यहां आवेदन करने वालों में वैश्य एवं ब्राह्मण बिरादरी के नेता ज्यादा हैं। बीते कुछ वर्ष से यहां वैश्य या ब्राह्मण बिरादरी के नेता ही अध्यक्ष बन रहे हैं।
इस बार कायस्थ एवं क्षत्रिय नेताओं ने भी अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी की है। इसी तरह गंगापार से भी 50 आवेदन अध्यक्ष पद के लिए हुए हैं। जातिगत समीकरण को देखते हुए पार्टी गंगापार से पिछड़ी जाति और यमुनापार से अनुसूचित जाति के नेता को अध्यक्ष बनाने का दांव खेल सकती है।
उधर, गंगापार में अध्यक्ष पद के लिए कुर्मी, ब्राह्मण, मौर्य बिरादरी के नेताओं के आवेदन ज्यादा आए हैं। इसी तरह यमुनापार में भी कुर्मी, निषाद, अनुसूचित जाति, कोल, ब्राह्मण आदि बिरादरी के आवेदन अधिक हैं। शहर उत्तरी विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी का कहना है कि पार्टी अपने निष्ठावान एवं भरोसेमंद कार्यकर्ता को ही अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपेगी। उम्मीद है होली बाद प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों के नाम का एलान हो सकता है।

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