नई दिल्ली। रुपये को लेकर शुरू हुए विवाद पर अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी बयान आ गया है। सीतारमण ने कहा है कि ये कदम अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है। बता दें कि 2025-26 के लिए राज्य के बजट में स्टालिन सरकार ने देवनागरी लिपि में रुपये के लोगो को तमिल अक्षर से बदल दिया है।
भाजपा ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि पूर्व द्रमुक विधायक के पुत्र ने ही रुपये का लोगो बनाया है। शुक्रवार को पेश होने वाले बजट से एक दिन पहले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसका टीजर साझा किया है। इसमें रुपये के लोगो की जगह तमिल भाषा में श्रुश् दिख रहा है, जिसका मतलब श्रुबाईश् (तमिल में रुपया) है।
क्या बोलीं निर्मला सीतारमण?
वित्त मंत्री सीतारमण ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने लिखा- अगर डीएमके को ‘₹’ से दिक्कत है, तो उसने 2010 में इसका विरोध क्यों नहीं किया, जब इसे आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत अपनाया गया था। उस समय तो डीएमके केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी।
सीतारमण ने कहा कि यह महज प्रतीकात्मकता से कहीं अधिक है। यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत देता है, जो भारतीय एकता को कमजोर करता है और क्षेत्रीय गौरव के बहाने अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है। उन्होंने इसे भाषा और क्षेत्रीय अंधभक्ति का एक पूरी तरह से टाला जा सकने वाला उदाहरण बताया।
हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे स्टालिन
यह पहली बार है कि किसी राज्य ने राष्ट्रीय मुद्रा के प्रतीक को अस्वीकार किया है और उसकी जगह अपनी क्षेत्रीय भाषा को महत्व दिया है। तमिलनाडु सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को खारिज करने के बाद इस मुद्दे पर जारी राजनीतिक विवाद के बीच यह कदम उठाया गया है।
मुख्यमंत्री स्टालिन केंद्र सरकार पर राज्य में हिंदी थोपने का प्रयास करने का आरोप लगा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य हिंदी को बढ़ावा देना है। राज्य सरकार के इस कदम से भाजपा नाराज है, लेकिन सत्तारूढ़ द्रमुक ने आश्चर्य जताया कि क्या कोई नियम इस पर रोक लगाता है।
डिजाइनर ने टिप्पणी करने से इंकार किया
भारतीय रुपये का प्रतीक चिह्न डिजाइन करने वाले आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने किसी विवाद में पड़ने से इन्कार कर दिया और कहा कि यह महज संयोग है कि उनके पिता द्रमुक विधायक थे। उन्होंने कहा, मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी है। राज्य सरकार को लगा कि बदलाव की जरूरत है और वह खुद का स्क्रिप्ट लागू करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है। इसलिए मेरे पास इस बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है। कुमार के पिता एन धर्मलिंगम 1971 में ऋषिवंदियम निर्वाचन क्षेत्र से द्रमुक के विधायक थे। कुमार ने कहा कि मेरे पिता द्रमुक विधायक थे और पार्टी की सरकार ने डिजाइन बदल दिया। मैं इसमें कुछ और नहीं देखता। यह एक विशुद्ध संयोग है।