प्रयागराज (राजेश सिंह)। तीर्थराज प्रयाग में मनरेगा का दम निकल रहा है। तीन महीने से श्रमिकों को मजदूरी नहीं मिली। 22 ब्लाकों में करीब 32 लाख रुपये का भुगतान अटका हुआ है। मजदूर उधार लेकर घर चला रहे हैं। यही कारण है कि मजूदरों का इस योजना से मोह भंग हो रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस वित्तीय वर्ष 1.53 लाख मजदूरों ने काम किया, लेकिन 100 दिन का रोजगार महज 11933 श्रमिकों को ही मिला।
केंद्र सरकार ने गांवों से मजदूरों का पलायन रोकने के लिए मनरेगा योजना चलाई थी। शुरुआत में इसने मजदूरों के खूब दुखदर्द मिटाए, लेकिन अब इसकी दुश्वारियां देखने वाला कोई नहीं है। मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को महीनों भुगतान नहीं होता। इस वक्त भी तीन महीने से श्रमिक एक-एक पैसे के लिए तरस रहे हैं। 32.39 लाख रुपये मजदूरी बकाया है, जिसका भुगतान नहीं हो रहा है।
मजदूरों के सामने रोटी के लाले पड़ गए हैं। कोई रुपये उधार ले रहा है तो किसी के घर में चूल्हा किराना व्यवसायी के रहम पर जल रहा है। जिले में इस योजना की स्थिति यह है कि करीब ढाई लाख मजदूरों ने इसका साथ ही छोड़ दिया है। मनरेगा के आंकड़े बताते हैं कि मजदूरों को आर्थिक मजबूती देने वाली यह योजना अब खुद ही कमजोर हो चुकी है। फिर भी शासन स्तर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बहादुरपुर में 24 हजार, बहरिया में 1.51 लाख, भगवतपुर में 28 हजार, चाका में 56 हजार, धानूपुर में 41 हजार, हंडिया में 22 हजार, होलागढ़ में 3.23 लाख, जसरा में एक लाख, करछना में 4.04 लाख, कौधियारा में 4.29 लाख, कौरिहार में 23 हजार, कोरांव में 10.14 लाख, मऊआइमा में 1.27 लाख, मेजा में 81 हजार, फूलपुर में 13 हजार, प्रतापपुर में 55 हजार, सहसों में 1.23 लाख, सैदाबाद में 61 हजार, शंकरगढ़ में 75 हजार, सोरांव में छह हजार, श्रृंगवेरपुर में 21 हजार और उरवा में 64 हजार रुपये की मजदूरी बकाया है।
मनरेगा के आंकड़ों पर एक नजर
589879 - कुल मनरेगा मजदूर
335613 - सक्रिय मनरेगा मजदूर
254266 - श्रमिक सक्रिय नहीं है
153396 - इस साल काम करने वाले श्रमिक
11933 - 100 दिन काम करने वाले श्रमिक
शहर न जाएं तो घर कैसे चलाए, मनरेगा नहीं दे रही साथ
होलागढ़ के श्रमिक सुंदरलाल ने बताया कि बाहर मजदूरी करने पर 400 रुपये तक दिहाड़ी मिल जाती है। जबकि, मनरेगा में 237 रुपये ही मिलते हैं। इसके बाद भी समय पर कभी मजदूरी मिलती नहीं। दो से लेकर तीन-तीन महीने तक भुगतान अटका रहता है। इसलिए, मनरेगा में काम करना बंद कर दिया है।
शासन स्तर से ही मनरेगा में मजदूरी का भुगतान रुका है। उम्मीद है कि 15 दिन में मजदूरी के रुपये मजदूरों के खाते में पहुंच जाएगी। योजना को रफ्तार देने के प्रयास किए जा रहे हैं। - गुलाब चंद, उपायुक्त, मनरेगा
कोरांव की रानी देवी ने बताया पति शहर में काम करते हैं। मैं मनरेगा में काम कर लेती हूं। लेकिन, इसमें भी तीन महीने से मजदूरी नहीं मिली। प्रधान से कुछ रुपये उधार लिए तब घर में चूल्हा जला। फूलपुर के श्रमिक शंभूनाथ का कहना है कि मनरेगा में 15 दिन काम किया था। अब इसके भुगतान के लिए कभी प्रधान तो कभी ब्लाक के चक्कर लगा रहा हूं।