राजभवन ने केंद्र को भेजा तीन नामों का पैनल
प्रयागराज (राजेश सिंह)। एनसीजेडसीसी को इसी महीने नया निदेशक मिल जाएगा। सात राज्यों की कला-संस्कृति के विकास केे लिए काम करने वाले एनसीजेडसीसी के निदेशक पद के लिए राजभवन ने साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इसके साथ ही तीन नामों का पैनल राजभवन ने संस्कृति मंत्रालय को अंतिम चयन के लिए भेज दिया है। इसी में से एक नाम का एलान किया जाएगा। इस पद के लिए 14 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। प्रयागराज के भी तीन लोक कला मर्मज्ञ निदेशक पद की दौड़ में शामिल हैं।
राजभवन में साक्षात्कार के बाद एनसीजेडसीसी में नए निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज हो गई है। केंद्र निदेशक के नाम का एलान अब किसी भी वक्त हो सकता है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता साराभाई के समक्ष अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हो चुका है। इस पैनल में संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता साराभाई भी शामिल रही हैं। साक्षात्कार में देश भर से 14 अभ्यर्थी बुलाए गए थे।
इनमें से तीन नामों का पैनल अंतिम चयन के लिए संस्कृति मंत्रालय को भेजा गया है। माना जा रहा है कि इसी माह नए केंद्र निदेशक के नाम का एलान हो सकता है। केंद्र निदेशक का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। इससे पहले निदेशक रहे प्रो. सुरेश शर्मा का कार्य वर्ष पांच अगस्त 2024 को ही खत्म हो गया था। इसके बाद पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक आशिष गिरि को एनसीजेडसीसी का अतिरिक्त प्रभाव सौंपा गया था।
निदेशक पद के लिए साक्षात्कार में बुलाए गए अभ्यर्थियों में तीन प्रयागराज के ही हैं। इनमें लोकनाट्य कलाविद् अतुल यदुुवंशी, कथक केंद्र की निदेशक उर्मिला शर्मा और रंग कर्मी अजय केशरी के नाम शामिल हैं। एनसीजेडसीसी का प्रभार देख रहे आशिष गिरि ने भी साक्षात्कार में हिस्सा लिया। इनके अलावा अयोध्या शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी भी इस पद के प्रबलतम दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं।
एनसीजेडसीसी सात राज्यों की लोक कला संस्कृति के उत्थान और प्रसार के लिए काम करने वाला संस्कृति मंत्रालय का सबसे बड़ा केंद्र है। नए निदेशक की नियुक्ति के बाद इस केंद्र की सांस्कृतिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि इस बार किसी कलाकार को भी एनसीजेडसीसी की कमान सौंपी जा सकती है।