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भारत सहित सभी के साझा हितों में चागोस पर ब्रिटेन से नए समझौते के इच्छुकःरामफल

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 पीटीआई, पोर्ट लुई। मॉरीशस और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से विवादित चागोस द्वीपसमूह पर वार्ता चल रही है। इस दौरान मॉरीशस की नवनिर्वाचित सरकार क्षेत्र पर उसकी संप्रभुता बहाल करने के उद्देश्य से समझौते की शर्तों को लेकर नए सिरे से विचार पर जोर दे रही है। मॉरीशस के विदेश मंत्री धनंजय रामफल का कहना है कि सरकार एक निर्णायक समझौता चाहती है जो भारत और अमेरिका सहित सभी हितधारकों के सर्वाेत्तम हित में हो।

यह दोनों देशों के हित में है- धनंजय रामफल

धनंजय रामफल ने एक साक्षात्कार में कहा, यह दोनों देशों के हित में है, यह चाहे भारत, मॉरीशस हों या फिर ब्रिटेन व अमेरिका, कि हम चागोस के स्थायी समाधान के लिए एक समझौते पर पहुंचें। डिएगो गार्सिया में संचालित सैन्य ठिकाने के संबंध में स्थिरता, प्रत्यक्षता और निश्चितता लानी चाहिए।

इस समझौत पर शुरुआती बातचीत नवंबर, 2024 में मॉरीशस के आम चुनावों से ठीक पहले हुई। हालांकि, अब जब नई सरकार सत्ता में है, तो रामफल ने कहा कि प्रशासन शर्तों पर नए सिरे से विचार करने को इच्छुक है। विदेश मंत्री ने कहा, चागोस पर अपनी संप्रभुता बहाल करने के लिए लंबे समय से हम संघर्ष कर रहे हैं।

विवाद के ऐतिहासिक संदर्भ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, यह अच्छी बात है कि ब्रिटेन ने बातचीत की मेज पर आकर मॉरीशस के साथ समझौता करने का फैसला किया है। दुर्भाग्य से चुनाव से ठीक पहले से इस समझौते पर बातचीत चल रही थी। अब नवंबर से हमारे यहां नई सरकार है और हम इस समझौते पर नए सिरे से विचार करना चाहते हैं। यही वर्तमान में चल रहा है।

भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है

रामफल ने कहा कि वार्ता में हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है, विशेष रूप से डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डे के निरंतर संचालन के संबंध में। रामफल के मुताबिक, ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच चागोस के मुद्दे पर समझौते में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा, हमें यह ध्यान में रखना होगा कि हिंद महासागर में सुरक्षा के मामले में हमारे हित (भारत और मारीशस) समान हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 मार्च को पोर्ट लुई में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। उम्मीद है कि इस दौरान चागोस का मुद्दा भी उठेगा।

चागोस मुद्दे को संबंधित पक्षों के बीच सुलझा लिया जाएगा

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को कहा था कि चागोस मुद्दे को संबंधित पक्षों के बीच सुलझा लिया जाएगा। मॉरीशस पर विदेशी प्रभाव को लेकर चिंताओं के मद्देनजर रामफल ने चीन के संबंध में मॉरीशस के रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने जोर देकर कहा, मॉरीशस और उसके आसपास कोई चीनी नौसैनिक अड्डा नहीं है। चीन सैन्य या अन्य मुद्दों के बजाय आर्थिक और व्यापार को लेकर अधिक चिंतित है।

मॉरीशस की आजादी के बाद से विवाद

गौरतलब है कि हिंद महासागर में स्थित चागोस द्वीपसमूह 1968 में मॉरीशस की आजादी के बाद से विवाद का विषय बना हुआ है क्योंकि ब्रिटेन का अब भी इन पर नियंत्रण है। बाद में ब्रिटेन ने इसके सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया को अमेरिका को पट्टे पर दे दिया, जिसने वहां एक रणनीतिक सैन्य अड्डा स्थापित किया है।

ट्रंप ने चागोस द्वीपसमूह को लेकर रखी थी राय

पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चागोस द्वीपसमूह में स्थित अमेरिका और ब्रिटेन के सैन्य ठिकाने के भविष्य को लेकर मॉरीशस और ब्रिटेन के बीच समझौते को अपना समर्थन दिया था। चागोस द्वीपसमूह हिंद महासागर में 60 से अधिक द्वीपों की सात श्रृंखलाएं हैं।


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