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घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए बदले कानूनः राजेश्वर सिंह

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लखनऊ (राजेश सिंह)। आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुके बांग्लोदशियों व रोहिंग्यां को लेकर भाजपा विधायक डा.राजेश्वर सिंह ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए कानून में सुधार किए जाने की मांग की है। उन्होंने छह बिंदुओं पर सुधार कर नया कानून लागू किए जाने की अपील की है।

लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से विधायक डॉ. सिंह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक संतुलन व जनसांख्यिकीय संरचना की रक्षा की दृष्टि से भी घुसपैठियों पर नियंत्रण बेहद आवश्यक है। उन्होंने विदेशी अधिनियम-1946 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। 

कहा है कि निर्वासन की स्पष्ट समय-सीमा व प्रक्रिया निर्धारित की जाए। डीएम को सीधे तौर पर निर्वासन आदेश जारी करने का अधिकार दिया जाए। हर राज्य में त्वरित सुनवाई के लिए विशेष ट्रिब्यूनल गठित किए जाएं। केंद्रीय पहचान फ्रेमवर्क का निर्माण हो। एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) व एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) को आधार, मोबाइल ट्रैकिंग व एआई तकनीक से जोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाए। 

अवैध प्रवासियों का राष्ट्रीय केंद्रीकृत डाटाबेस तैयार किया जाए। सीमा व संवेदनशील राज्यों में नए डिटेंशन सेंटर बनाए जाएं। स्थानीय पुलिस को सत्यापन, गिरफ्तारी व केंद्र के साथ समन्वय के विशेष अधिकार प्रदान किए जाएं। सभी मौजूदा कानूनों व नियमों को एकीकृत कर एक व्यापक कानून बनाया जाए। 

अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट प्रावधान किए जाएं। निर्वासन के मामलों में बार-बार की याचिकाओं, अनावश्यक रोक व स्थगन आदेशों पर भी रोक लगे। केवल दुर्लभ मानवीय मामलों में ही अदालत हस्तक्षेप करे। 

कहा, वर्ष 1997 में देश में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या एक करोड़ से अधिक दर्ज की गई थी। वर्ष 2004 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1.2 करोड़ व वर्ष 2016 में दो करोड़ से अधिक हो चुका था। 

कानूनी जटिलताओं, संवैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग (विशेषकर अनुच्छेद 21- जीवन के अधिकार) व लंबी अदालती प्रक्रिया के चलते निर्वासन की गति नगण्य रही है। यह केवल घुसपैठ नहीं। बल्कि एक मौन आक्रमण है, जो हमारे रोजगार, सुरक्षा, सांस्कृतिक ताने-बाने व जनसंख्या की संरचना को कमजोर कर रहा है।

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