नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1971 में बहुचर्चित राजनीतिक इच्छाशक्ति का जिक्र किया। वहीं, इतिहासकारों ने बताया है कि दरअसल, वह युद्ध नहीं चाहती थीं और उन्होंने अमेरिका से भारत के खिलाफ इस्लामाबाद की आक्रामक गतिविधियों को रोकने में मदद की गुहार लगाई थी।
अमेरिकी सरकार के एक अभिलेखीय दस्तावेज में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा पांच दिसंबर, 1971 को राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को लिखे गए पत्र का उल्लेख है। यह दस्तावेज दर्शाता है कि तीन दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान द्वारा भारत के पश्चिमी मोर्चे पर हमला करने के दो दिन बाद उन्होंने श्खतरे की इस घड़ीश् में राष्ट्रपति निक्सन से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।
भाजपा का कांग्रेस पर आरोप
यह दस्तावेज न केवल प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की युद्ध के प्रति अनिच्छा की पुष्टि करता है, बल्कि तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की पाकिस्तान से निपटने के लिए अमेरिका पर निर्भरता को भी उजागर करता है।
मंगलवार को अमेरिकी अभिलेखों ने भाजपा नेताओं को भी बल प्रदान किया, जिन्होंने विपक्षी कांग्रेस पर यह आरोप लगाने के लिए हमला बोला था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को युद्धविराम समझौते को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया था।
भाजपा ने क्या कहा
एक भाजपा नेता ने कहा, वह इंदिरा गांधी ही थीं जिन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्ध से जुड़े मामलों पर अमेरिका से संपर्क किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार कभी भी अमेरिका के किसी दबाव में नहीं आई और पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों के खिलाफ स्वतंत्र और निर्णायक कार्रवाई की।
राष्ट्रपति निक्सन को लिखे अपने पत्र में इंदिरा गांधी ने लिखा, सरकार और भारत की जनता आपसे आग्रह करती है कि आप पाकिस्तान को उस अनियंत्रित आक्रामकता और सैन्य दुस्साहस की नीति से तुरंत बाज आने के लिए राजी करें, जिस पर वह दुर्भाग्य से चल पड़ा है।
राष्ट्रीय अभिलेखागार निक्सन प्रेसिडेंशियल मटेरियल के दस्तावेज के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था, क्या मैं महामहिम से अनुरोध कर सकती हूं कि आप पाकिस्तान सरकार पर अपने प्रभाव का प्रयोग करके भारत के विरुद्ध उनकी आक्रामक गतिविधियों को रोकें।
राहुल गांधी का आरोप
इंदिरा गांधी द्वारा अमेरिका से पाकिस्तान की आक्रामकता को रोकने के अनुरोध का यह दस्तावेज उस दिन सार्वजनिक हुआ जब राहुल गांधी ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में भाग लेते हुए मोदी सरकार पर सशस्त्र बलों को खुली छूट न देने का आरोप लगाया।
राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार ने सशस्त्र बलों को पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने से रोक दिया, युद्ध को आगे न बढ़ाने की अपनी मंशा से इस्लामाबाद को अवगत करा दिया और पाकिस्तानी रडार को निष्क्रिय किए बिना ही भारतीय लड़ाकू विमानों को युद्ध के लिए भेज दिया।