प्रयागराज (राजेश सिंह)। बैराज से छोड़े गए पानी के बाद उफनाई गंगा और यमुना नदी का जलस्तर बुधवार को भी दिनभर बढ़ता रहा। इससे बाढ़ की चपेट में आए गांवों की मुसीबत और बढ़ गई थी। बाढ़ प्रभावित कछार का बदरा गांव तो टापू में तब्दील हो गया है। बुधवार की सुबह ही गांव की बिजली आपूर्ति भी काट दी गई। इससे गांव के तकरीबन 800 घरों में शाम होते ही अंधेरा पसर गया। बिजली गुल होने से बदरा गांव में जलापूर्ति पर भी गहरा असर पड़ा है। बढ़े हुए जलस्तर के कारण नई और पुरानी झूंसी के तटवर्ती इलाकों में बसे मठ, मंदिर, आश्रम और श्मशान घाट भी जद में आ गए हैं। बाढ़ के कारण छतनाग श्मशान घाट पर लोग जान जोखिम में डालकर एक नाव पर तीन से चार कुंतल लकड़ी, उसी पर शव और कई ग्रामीण बैठकर ऊंचाई पर जाकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन इससे पूरी तरह अंजान बना हुआ है।
झूंसी के बदरा-सोनौटी से होकर तकरीबन डेढ़ दर्जन कछारी गांव की ओर जोड़ने वाला मुख्य मार्ग लगातार तीसरी बार तीन दिन से बाढ़ की चपेट में है। गंगा और यमुना के रौद्र रुप के कारण तटवर्ती इलाके के मठ, मंदिर, आश्रम के साथ ही श्मशान घाट व बारादरी भी बाढ़ की चपेट में है। बाढ़ के कारण मठ और आश्रम में रहने वाले साधु-संतों व बटुकों को दूसरी जगह पर जाना पड़ा है।
बुधवार को प्रशासन ने झूंसी के कछारी इलाके में आवागमन के लिए तीन बड़ी और दो छोटी नावें चलवाई थीं। जलस्तर बढ़ने के कारण दो माह में तीसरी बार बुधवार की सुबह से बदरा गांव की बिजली आपूर्ति ठप कर दी गई। इससे तकरीबन 800 घरों में शाम होते ही अंधेरा पसर गया। हालत यह रही कि बिजली आपूर्ति की कोई दूसरी व्यवस्था न किए जाने से ग्रामीणों को मोमबत्ती और ढेबरी के सहारे घर में उजाला करना पड़ा। अभी कितने दिन उन्हें बगैर बिजली के गुजारनी होगी, यह सोच-सोच कर प्रभावित ग्रामीण परेशान हैं।
बिजली गुल होने से गांव में जलापूर्ति भी ठप पड़ गई है। इससे प्रभावित परिवारों में हाहाकार मचा रहा। बदरा गांव चारों-तरफ से टापू में तब्दील हो गया है। इसके साथ ही ढोलबजवा, बहादुरपुर, गंजिया, हेतापट्टी, इब्राहिमपुर, खजुरी, मदारपुर, पैगंबरपुर, फैज्जुलापुर, सकरा, इब्राहिमपुर समेत तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांव में भी आवागमन प्रभावित हैं। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया है। शाम सात बजे तक नाव चलाने के निर्देश दिए गए हैं।