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आज तक ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं देखा...जयशंकर ने ट्रंप की विदेश नीति की खोली पोल

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वाशिंगटन। जयशंकर ने साफ किया कि अमेरिका के साथ ट्रेड पर बातचीत में भारत के किसानों और छोटे उत्पादकों के हित सबसे ऊपर हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी रेड लाइन से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे बात किसानों के हितों की हो या फिर रणनीतिक स्वायत्ता की।

भारत और अमेरिका के बीच इन दिनों व्यापार को लेकर तनाव जारी है। कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन किसी भी स्थिति में भारत अमेरिका को अपनी मनमानी नहीं करने दे रहा है। इसी कराण अब तक हुई बैठकों में दोनों देश किसी भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर बात की। जयशंकर ने साफ किया कि अमेरिका के साथ ट्रेड पर बातचीत में भारत के किसानों और छोटे उत्पादकों के हित सबसे ऊपर हैं।  उन्होंने कहा कि भारत अपनी रेड लाइन से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे बात किसानों के हितों की हो या फिर रणनीतिक स्वायत्ता की। अमेरिका के साथ ट्रेड को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि निगोसिएशन अभी चल रही हैं। लेकिन हमारी कुछ रेड लाइन हैं। 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि दुनिया को ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति कभी नहीं मिला जिसने विदेश नीति को वर्तमान राष्ट्रपति की तरह सार्वजनिक रूप से संचालित किया हो। दिल्ली में एक मीडिया कार्यक्रम में बोलते हुए, जयशंकर ने कहा कि यह अपने आप में एक बदलाव है जो केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ, यहाँ तक कि अपने देश के साथ भी व्यवहार करने का तरीका, पारंपरिक रूढ़िवादी तरीके से बहुत अलग है। जयशंकर ने दोहराया कि मई में चार दिवसीय भारत-पाकिस्तान संघर्ष को समाप्त करने में अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी, जो ट्रम्प के बार-बार के दावों के विपरीत था। 

उन्होंने कहा कि मध्यस्थता (भारत-पाक संघर्ष) के मुद्दे पर, 1970 के दशक से, यानी 50 वर्षों से भी अधिक समय से, इस देश में राष्ट्रीय सहमति है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के मुद्दे पर, जयशंकर ने कहा कि किसी भी व्यापार वार्ता में घरेलू किसानों के हित सर्वाेपरि होते हैं। जब व्यापार की बात आती है, किसानों के हितों की बात आती है, जब हमारी रणनीतिक स्वायत्तता की बात आती है, जब मध्यस्थता के विरोध की बात आती है, तो यह सरकार बहुत स्पष्ट है। 

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