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पहलगाम हमले पर भारत के साथ खड़ा हुआ जापान

 

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लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कड़े एक्शन का किया एलान

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय दो दिवसीय जापान के दौरे पर हैं। यहां पर भारत-जापान आर्थिक फोरम में हिस्सा लिया। वहीं, पीएम मोदी ने उनके जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा से मुलाकात भी की।

इस दौरान जापान ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की स्पष्ट रूप से और दृढ़ता से निंदा की। वहीं, जापान ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और उनके सहयोगियों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों के खिलाफ एक्शन लेने का एलान किया।

पीएमओ ने जारी किया बयान

दरअसल, पीएमओ द्वारा जारी एक बयान में बताया गया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने आतंकवादी वित्तपोषण चौनलों और अंतरराष्ट्रीय अपराध के साथ उनके गठजोड़ को समाप्त करने तथा आतंकवादियों की सीमा पर आतंकवाजियों की सीमा पर आवाजाही को रोकने का आह्वान किया।

बयान में कहा गया कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी टीम की 29 जुलाई की रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का उल्लेख था। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया कि टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

जापानी पीएम ने भी पहलगाम हमले की निंदा की

जापान के प्रधानमंत्री इशिबा ने पहलगाम हमले पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों और वित्तपोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया।

जापानी पीएम ने अलकायदा, आईएसआईएस/दाएश, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और उनके समर्थकों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों और संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने और आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने का एलान किया।

म्यांमार की स्थिति पर भी हुई चर्चा

वहीं, दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने म्यांमार की स्थिति पर भी चर्चा की। जापान और भारत ने इस स्थिति में सभी पक्षों से हिंसा की सभी गतिविधियां तुरंत बंद करने का आह्वान किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने हाल ही में आपातकाल समाप्त करने और चुनाव कराने की योजना की घोषणा पर भी ध्यान दिया।

पीएमओ द्वारा जारी बयान में इस संबंध में कहा गया कि नों प्रधानमंत्रियों ने लोकतंत्र के उस रास्ते पर लौटने का पुरज़ोर आग्रह किया जो सभी हितधारकों के बीच समावेशी संवाद और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की अनुमति देता है, और हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई का आग्रह किया। उन्होंने संकट के समावेशी, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में पांच सूत्री सहमति के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन का आह्वान करते हुए आसियान के प्रयासों के प्रति अपने दृढ़ समर्थन की पुष्टि की। 


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