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भारत से ट्रंप को श्रेय नहीं मिला तो थोप दिया मनमाना टैरिफ

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अमेरिकी कंपनी जेफरीज ने किया सनसनीखेज दावा

नई दिल्ली। अमेरिकी दिग्गज निवेश कंपनी जेफरीज ने दावा किया है कि भारत पर थोपा गया बेतहाशा टैरिफ ट्रंप की निजी खुन्नस का परिणाम है, जो अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के लिए घातक है। कंपनी के मुताबिक ट्रंप का ये कदम उनके वैचारिक दिवालियापन का सटीक उदाहरण है।

जेफरीज ने कही ये बात

बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी जेफरीज के मुताबिक इस साल अप्रैल में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिन के सैन्य संघर्ष में भारत ने लगातार ये रुख बनाए रखा कि वह पाकिस्तान के साथ अपने विवादों में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है।

इससे ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी खत्म कराने से वंचित रह गए। इससे ट्रंप को अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत करने और संभावित रूप से नोबेल शांति पुरस्कार जीतने का मौका नहीं मिल सका।

अमेरिका के लिए कृषि क्षेत्र को भी नहीं खोला

जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की नाराजगी के लिए दूसरा मुद्दा बना भारत का कृषि बाजार को आयात के लिए न खोलना। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 25 करोड़ किसान और संबंधित मजदूर अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, और यह क्षेत्र भारत के लगभग 40 प्रतिशत कार्यबल का हिस्सा है। इसलिए भारत सरकार अमेरिका के लिए कृषि बाजार नहीं खोल सकती है।

वैचारिक दिवालियापन का परिणाम

जेफरीज ने अपने विश्लेषण में इस घटनाक्रम को वाशिंगटन में वैचारिक दिवालियापन का उत्कृष्ट उदाहरण बताया है। साथ ही चेतावनी दी है कि ऐसे निर्णय अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नहीं हैं। रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि भारत को दूर धकेलने से वह चीन के करीब आ सकता है, और इस ओर इशारा किया कि पांच साल से अधिक समय के बाद सितंबर में दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू हो रही हैं।

भारत को धमकाना वैसा ही, जैसे कोई चूहा हाथी को मारे

अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड वोल्फ ने कहा कि अमेरिका भारत के खिलाफ दुनिया के दबंग की तरह व्यवहार कर रहा है, लेकिन ऐसा करके वह अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है। भारत को धमकाने से वह ब्रिक्स को पश्चिमी देशों के लिए एक आर्थिक विकल्प बनने की दिशा में धकेल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा देश है। अमेरिका का भारत को यह बताना कि उसे क्या करना चाहिए, एक चूहे का हाथी को मुक्का मारने जैसा है।

रूस टुडे को एक इंटरव्यू में वोल्फ ने कहा कि अगर अमेरिका भारत के लिए अपने दरवाजे बंद कर देता है, तो भारत को अपने निर्यात बेचने के लिए अन्य जगहें मिल जाएंगी, और इस कदम से केवल ब्रिक्स देशों को मजबूती मिलेगी।

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