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1978 के बाद पहली बार पांचवीं बार बाढ़ ने दी दस्तक, मोहल्लों और गांवों में घुसा पानी

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। शहर पर बाढ़ का खतरा एक बार फिर गहराता जा रहा है। गंगा-यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। 1978 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि पांचवीं बार लोगों के घर बाढ़ की चपेट में आए हैं। हर चार घंटे में गंगा का जलस्तर 14 सेमी और यमुना का 11 सेमी बढ़ रहा है। 
सूत्रों के अनुसार 12 बांध और बैराज मिलाकर यमुना में छह लाख और गंगा में सात लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे नदियों का रौद्र रूप सामने आने लगा है। सोमवार दोपहर 12 बजे तक की रिपोर्ट के अनुसार गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 83.93 मीटर और छतनाग में 83.19 मीटर दर्ज किया गया। खतरे का निशान 84.738 मीटर है। यमुना का जलस्तर नैनी में 83.75 मीटर तक पहुंच गया है जो खतरे के निशान से बस डेढ़ मीटर नीचे है। गंगा तीन सेंटीमीटर और यमुना डेढ़ सेंटीमीटर प्रति घंटे की हिसाब से बढ़ रही हैं।
सदर तहसील के कछार मऊ, मऊ सरैया, बघाड़ा, नेवादा, बेली और मेहंदौरी क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। फूलपुर तहसील के सोनौटी, बदरा और करछना तहसील के देहली व भगेसर गांव के घरों तक भी बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। अब तक दस मोहल्लों में पानी घुस चुका है। लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए प्रशासन ने 13 नावें लगाई हैं।

गंगा-यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पांचवीं बार बाढ़ का पानी मोहल्लों और गांवों में घुस चुका है। करछना और फूलपुर में नावें लगा दी गई हैं। जहां पानी भर गया है, वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है। - मनीष कुमार वर्मा, डीएम

उत्तराखंड में हुई बारिश के चलते नदियों का जलस्तर और बढ़ने की उम्मीद है। बांध और बैराज से कितना क्यूसेक पानी छोड़ा गया है इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। - विनीता सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व

कछार के लोगों को बाढ़ की आशंका फिर सताने लगी है। इस मानसून में तीसरी बार बस्तियों में पानी घुसने के आसर बन गए हैं। झूंसी की तरफ बदरा सोनौटी चारों तरफ से बाढ़ की चपेट में आ गया है और नावें चलानी पड़ीं हैं। करछना में भी एक गांव में नाव चलने लही है।
शहर की तरफ बघाड़ा एवं नेवादा कछार के निचले इलाके की बस्तियों तक पानी पहुंच गया है। देर रात तक बस्तियों में पानी घुसने की बात कही जा रही है। इसे देखते हुए बघाड़ा में एनी बेसेंट स्कूल तथा कैंट मैरिज हाल को बाढ़ राहत शिविर में तब्दील कर दिया गया है। हालांकि, देर शाम तक कोई पहुंचा नहीं था।
अफसरों के अनुसार दोनों नदियों का जलस्तर एक बार फिर 84 मीटर तक पहुंच सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बघाड़ा, सलोरी, तेलियरगंज, बेली कछार, बेली उपरहार, राजापुर, गंगानगर, नेवादा, अशोक नगर आदि मोहल्लों में कछारी इलाके की बस्तियों में बाढ़ का पानी पहुंच जाएगा और हजारों लोग बेघर हो जाएंगे।
बार-बार घरों में घुस रहे बाढ़ के पानी ने लोगों को काफी प्रभावित किया है। बाढ़ से बेघर होकर राहत शिविरों में शरण लेने वाले लोग अब बीमारियों से लड़ने को मजबूर हैं। किसी को कान से सुनाई देना बंद हो गया है तो कोई तेज बुखार और दस्त से परेशान है। मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पेट पालने वाले अब इलाज के लिए जूझ रहे हैं।
शिविर में दवाएं तो मिल रही हैं पर गंभीर बीमारियों ने जूझ रहे लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि रोजी-रोटी के साथ अब बीमारी से निजात पाना भी बड़ी चुनौती बन गया है। गंगा-यमुना का जलस्तर पांचवीं बार खतरे के निशान तक पहुंच गया है जिससे स्थिति और विकट हो गई है।
शहर के तीन शिविरों में अब तक 500 से अधिक लोग शरण ले चुके हैं। आपदा कंट्रोल रूम में मदद के लिए लगातार फोन आ रहे हैं। एनडीआरएफ की टीमें अलर्ट मोड में हैं और ग्रामीण इलाकों करछना व फूलपुर में नावें चलाकर फंसे लोगों को शिविरों तक पहुंचाया जा रहा है। 1978 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि पांचवीं बार लोगों को अपना आशियाना छोड़ कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।
छावनी मांगलिक केंद्र में नेवादा कछार, द्रौपदी घाट, मऊ सरैया, काली पलटन और पत्रकार कॉलोनी के लोग ठिकाना ढूंढ़ने पहुंचे हैं। मऊ सरैया निवासी फूलचंद्र बताते हैं कि यह दूसरी बार है जब वह शिविर में पहुंचे हैं। परिवार के कई लोग बीमार हैं। 56 वर्षीय सुषमा ने बताया कि पहले उन्हें जगह नहीं मिली थी तो राजापुर शिविर जाना पड़ा। इस बार पहले ही परिवार संग शिविर में पहुंच गई हैं।
कई लोगों को सुनाई नहीं दे रहा है, लगता है कि उनके कान में पानी भर गया है। 75 वर्षीय प्रेमचंद्र का कहना है कि तीसरी बार शिविर आना पड़ा है। बार-बार पानी घुसने से घर का सारा सामान खराब हो गया है। खाने-पीने और दवा की बहुत दिक्कत है। वहीं शिविर में कार्यरत चिकित्सकों ने बताया कि अब तक 10 से 12 गंभीर मरीज इलाज के लिए पहुंचे हैं। इनमें डायरिया, बुखार और कान संबंधी तकलीफें प्रमुख हैं। डॉक्टरों ने मरीजों को जांच कराने की सलाह दी है। एसडीएम अभिषेक सिंह ने बताया कि बाढ़ राहत शिविरों में लगातार लोगों की संख्या बढ़ रही है।

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