ग्रेटर नोएडा। अमेरिकी टैरिफ ने भारत को अपने परंपरागत दोस्त रूस के और नजदीक कर दिया है। दशकों पुरानी दोस्ती के रंग को और गाढ़ा करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी रूस को यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का पार्टनर कंट्री बनाया है।
उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में रूस के निवेश का रास्ता तैयार करने में जुटी है। दोनों देशों की शुक्रवार को होने वाली बिजनेस मीट उत्तर प्रदेश में रूस के निवेश से पर्दा उठेगा। ट्रेड शो में रूस की 30 कंपनियों के अधिकारी आए हैं।
भारत के रूस के साथ मजबूत संबंध अमेरिकी ट्रंप सरकार को खटक रहे हैं। रूस के साथ दोस्ती के चलते अमेरिका का भारत के प्रति रैवया बदल गया है। टैरिफ को बढ़ाकर पचास प्रतिशत कर दिया। इसके बावजूद भारत अमेरिका के सामने झुकने को तैयार नहीं, बल्कि रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत कर रहा है।
यूपीआइटीएस में रूस को पार्टनर कंट्री के तौर पर शामिल कर भारत ने अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है, इससे भी एक कदम आगे बढ़कर रूस उत्तर प्रदेश में निवेश करने जा रहा है। बैंकिंग, फाइनेंस से लेकर कृषि, रक्षा क्षेत्र आदि में निवेश को लेकर रूस की तीस कंपनियों का प्रतिनिधि मंडल पहुंच चुका है।
प्रतिनिधि मंडल ग्रेटर नोएडा में निवेश संभावनाओं को तलाशने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एडिशनल सीईओ सौम्य श्रीवास्तव के साथ बैठक भी कर चुका है। शुक्रवार को प्रतिनिधि मंडल के साथ प्रदेश सरकार के अधिकारियों की बिजनेस मीट होगी। इसके बाद दोनों संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता कर प्रदेश में निवेश रणनीति को सामने रखेंगे।
उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में जुटी योगी सरकार को रूस के निवेश से लक्ष्य हासिल करने में आसानी होगी। उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश को लेकर सरकार गंभीरता से काम कर रही है। नीतियों को व्यावहारिक बनाया गया है। इसका फायदा रूस से निवेश के मिल सकता है।
इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी रूसी निवेश के लिए काफी संभावनाएं हैं। रक्षा क्षेत्र में रूस व भारत के बीच पहले से ही काम हो रहा है। उत्तर प्रदेश में विकसित किए जा रहे डिफेंस कॉरिडोर में रूसी निवेश से इसे और गति मिल सकती है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
