मिर्जापुर (राजेश सिंह)। शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि पर सोमवार को मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। माता के जयकारे से पूरे दिन आदि शक्ति का दरबार गुंजायमान रहा।
अष्टभुजी देवी व काली खोह में विराजमान माता काली के दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। मां के दिव्य और भव्य स्वरूप के दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर रहे। विंध्यवासिनी के दरबार में पहुंचे श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की। भोर में मंगला भारती के बाद से शुरू हुआ दर्शन-पूजन का सिलसिला अनवरत चलता रहा। गंगा घाटों पर भी भीड़ रही। स्नान के बाद माता की एक झलक के लिए हर कोई उत्सुक नजर आया। त्रिकोण मार्ग पर तीनों देवियों के सुख समृद्धि की कामना की।
सोमवार को मां भगवती के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा-अर्चना होगी। ज्योतिषाचार्य डाक्टर रामलाल त्रिपाठी ने बताया देवी का यह स्वरूप अनंत एवं व्यापक है। कालरात्रि अर्थात काल को जीतने वाली। जन्म, पालन और काल। देवी के तीन स्वरूप। सृष्टि संयोजन और संचालन इन्हीं काली जी की कृपा के फल हैं।
ज्योतिषाचार्य ने कहा एक बार शिवजी ने देवी को काली कह दिया। इस कारण उनका नाम काली पड़ गया। माता काली की पूजा से सब कुछ सिद्ध होता है। इस रात्रि अखंड ज्योति जलाकर काले तिलों से पूजन करने एवं जप-तप करने से मां काली प्रसन्न होती हैं।
