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ब्रह्म योग में बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, खरीदारी का शुभ मुहूर्त

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। सनातन धर्मावलंबी कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शनिवार को धनतेरस का पर्व मनाएंगे। ब्रह्म योग, प्रदोष व्रत, त्रिग्रहीय संयोग ने धनतेरस का महत्व बढ़ा दिया है। आभूषण, वस्त्र, वाहन आदि की खरीदारी करके मां लक्ष्मी, कुबेर, गणेश और धनवंतरि का पूजन किया जाएगा। धनतेरस पर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में बही-खाता बदलने की परंपरा है। व्यापार में वृद्धि के लिए वर्षभर उसी में काम करते हैं।

धनतेरस पर त्रिग्रहीय संयोगः ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र 

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार त्रयोदशी तिथि दोपहर 1.22 बजे लग जाएगी। शनि प्रदोष, ब्रह्म योग और तुला राशि में सूर्य, बुध और मंगल का संचरण होने से त्रिग्रहीय संयोग बन रहा है। तुला राशि व्यापार की प्रतीक है। उसमें जगत की आत्मा सूर्य का संचरण होगा। सूर्य उद्योग, उत्थान, तेज, शक्ति के प्रतीक भी हैं। इससे धनतेरस का महत्व बढ़ गया है। 

धनतेरस पर दोपहर तीन बजे से करें खरीदारी

आचार्य देवेंद्र प्रसाद के अनुसार दोपहर तीन से शाम छह बजे तक लाभ व अमृत योग बन रहा है। इसमें खरीदारी करना चाहिए। इसके बाद शाम 7.30 से रात नौ बजे तक शुभ योग रहेगा। खरीदारी के लिए यह भी उपयुक्त समय है। 

पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर देव व असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था। समुद्र मंथन में आयुर्वेद के प्रवर्तक धनवंतरि व मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। इसी कारण धनतेरस पर धनवंतरि की जयंती भी मनाई जाती है। इसमें नई वस्तुएं खरीदने का विधान है। शनिवार का दिन होने के कारण तांबा और पीतक के बर्तनों उससे बनी देव मूर्तियों को खरीदना चाहिए। सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण व उससे बनी देव मूर्तियों, रत्न खरीदना शुभकारी रहेगा। 

क्ींदजमतंे 2025 धनतेरस पर झाड़ू जरूर खरीदना चाहिए। झाड़ू मां लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है, क्योंकि वो घर से दरिद्रता रूपी गंदगी को साफ करती है। झाड़ू खरीदने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। जबकि तेल, हल्दी व चना की दाल नहीं खरीदना चाहिए।

13 दीयों का है विशेष महत्व

क्ींदजमतंे 2025 धनतेरस की शाम घर के अंदर और बाहर दीया जलाने की परंपरा है। इससे वर्षभर सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। धनतेरस पर 13 दीयों का विशेष महत्व है जिन्हें अलग-अलग स्थानों पर जलाना चाहिए।

- एक दीया यम देवता के निमित्त जलाना चाहिए।

- मां लक्ष्मी के निमित्त दीया जलाना आवश्यक है।

- घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ दो दीये जलाने की परंपरा है।

- तुलसी के पास एक दीया अवश्य जलाना चाहिए।

- घर की छत पर एक दीया रखना चाहिए

- इसके अलावा सात दीया पीपल के वृक्ष के नीचे, मंदिर में जलाना चाहिए।

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