नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर शुक्रवार को दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों को याद किया। उन्होंने इन दंगों को स्वतंत्र भारत के इतिहास के श्श्सबसे काले धब्बोंश्श् में से एक बताया। साथ ही कहा कि आज का भारत न केवल अपने अल्पसंख्यकों को सुरक्षित रखता है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बिना किसी पूर्वाग्रह या भेदभाव के सबका साथ, सबका विकास भी सुनिश्चित करता है।
भाजपा ने भी सिख विरोधी दंगा पीड़ितों की कहानियां साझा कीं और कहा, श्श्1984 की यंत्रणा आज भी उन लोगों को सताती है जिन्होंने इसे झेला था। स्वतंत्र रिपोर्टों के अनुसार पूरे भारत में लगभग 16,000 सिख मारे गए थे। एक्स पर विभिन्न पोस्टों में पुरी ने एक निजी स्मृति को भी साझा किया जब दिल्ली और कई अन्य शहरों में भड़की हिंसा के दौरान उनके माता-पिता को दक्षिण दिल्ली स्थित उनके घर से समय रहते बचाया गया था।
उन्होंने कहा कि 1984 के उन दिनों को याद करके आज भी उनकी रुह कांप जाती है जब असहाय व निर्दाेष सिख पुरुषों, महिलाओं व बच्चों का बिना सोचे-समझे कत्लेआम किया गया था और उनकी संपत्तियों व पूजा स्थलों को कांग्रेस नेताओं और उनके साथियों के नेतृत्व में जानलेवा भीड़ ने लूट लिया था। यह सब इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या का बदला लेने के नाम पर किया गया था।
सिखों की संपत्तियों की पहचान के लिए मतदाता सूचियों का हुआ इस्तेमाल
पुरी ने याद किया कि जब सिखों को उनके घरों, वाहनों और गुरुद्वारों से बाहर निकाला जा रहा था और जिंदा जलाया जा रहा था, तब पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी रही। सिखों के घरों और संपत्तियों की पहचान के लिए मतदाता सूचियों का इस्तेमाल किया गया और कई दिनों तक भीड़ को रोकने की कोई कोशिश नहीं की गई। इसके बजाय श्जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती हैश् वाले बयान से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सिखों के नरसंहार को खुला समर्थन दिया था।
कांग्रेस नेता गुरुद्वारों के बाहर कर रहे थे भीड़ का नेतृत्व
पुरी ने कहा कि कांग्रेस नेता गुरुद्वारों के बाहर भीड़ का नेतृत्व करते देखे गए। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बनी संस्थाओं ने अपनी अंतरात्मा की आवाज दबा दी और इन नेताओं को खुली छूट दे दी। इन नेताओं ने एक कांग्रेस विधायक के घर पर बैठक की और फैसला किया कि सिखों को सबक सिखाना होगा।
कारखानों से ज्वलनशील पाउडर एवं रसायन खरीदे गए और भीड़ को दिए गए। नानावटी आयोग ने वर्षों बाद इसकी पुष्टि की। बाद में कांग्रेस दशकों तक बेशर्मी से सिख विरोधी हिंसा को नकारती रही। उन्होंने अपराधियों को संरक्षण दिया और उन्हें इनाम के तौर पर अच्छी पोस्टिंग (चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी) दी।
