प्रयागराज (राजेश सिंह)। संगम की रेती पर लगने वाले माघ मेला के लिए भूमि आवंटन में विलंब होने से संतों की नाराजगी थम नहीं रही है। खाकचौक व्यवस्था समिति के संतों व तीर्थपुरोहितों को मनाने में विफल मेला प्रशासन विफल है। इधर, द्वारका शारदा पीठ ने भी भूमि आवंटन में विलंब होने पर नाराजगी व्यक्त की है।
भूमि नहीं मिली तो शंकराचार्य का नहीं लगेगा शिविर
द्वारका पीठ ने स्पष्ट किया है कि 20 दिसंबर तक भूमि मिली तो शंकराचार्य का शिविर नहीं लगाया जाएगा। लचर प्रशासनिक व्यवस्था को देखते हुए शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती माघ मेला में नहीं आएंगे। अगर आएंगे भी तो मेला क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेंगे। श्री मनकामेश्वर महादेव मंदिर में प्रवास करके संगम स्नान करके लौट जाएंगे।
संतों और तीर्थपुरोहितों को भूमि आवंटित नहीं
माघ मेला का शुभारंभ पौष पूर्णिमा स्नान पर्व तीन जनवरी से हो जाएगा, लेकिन व्यवस्था अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई। अभी तक समस्त संतों और तीर्थपुरोहितों को भूमि आवंटित नहीं हुई। शंकराचार्यों सहित प्रमुख संतों का शिविर त्रिवेणी मार्ग में लगता है। मेला प्रशासन ने 19-20 दिसंबर को त्रिवेणी मार्ग की भूमि आवंटित करने की तारीख तय की है।
चार पीठों में प्रमुख द्वारका शारदा ने नाराजगी व्यक्त की
इस पर चार पीठों में प्रमुख द्वारका शारदा पीठ ने नाराजगी व्यक्त की है। शंकराचार्य के प्रतिनिधि व श्री मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी के अनुसार मेला प्रशासन की कार्यप्रणाली मनमानी है। जब पहले से तय था कि मेला तीन जनवरी से आरंभ होगा तो तैयारी उसके अनुरूप करनी थी, लेकिन अधिकारी जानबूझकर विलंब कर रहे हैं।
शिविर लगाने में न्यूनतम 15 दिन लगता है
उन्होंने कहा कि हमें 20 दिसंबर को भूमि मिलेगी तो शिविर लगाने का समय ही नहीं मिलेगा, क्योंकि उसके दो-तीन दिन बाद भूमि पूजन होगा। सुविधा मिलने में तीन-चार दिन लग जाते। फिर शिविर लगाने में न्यूनतम 15 दिन लगता है। ऐसे में पौष पूर्णिमा पर शिविर नहीं लग पाएगा। इसे देखते हुए तय किया गया है कि 20 दिसंबर को भूमि नहीं ली जाएगी। न ही द्वारका शारदा पीठ का शिविर लगाया जाएगा।
