मानवाधिकार नैसर्गिक विधि पर आधारित नैसर्गिक अधिकार की धारणा है प्रत्येक नागरिक को संवैधानिक प्रदत्त अधिकार ही मानवाधिकार है - डॉक्टर मनीष प्रताप सिंह
प्रदेश मानवाधिकार संगठन भारत द्वारा विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानवाधिकार उत्सव एवं सम्मान समारोह में विशिष्ट क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवा करने वाले नागरिकों को किया गया सम्मानित
प्रदेश मानवाधिकार संगठन का वार्षिकोत्सव एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम संपन्न
प्रयागराज (राजेश सिंह)। "मानव के जन्मजात गौरव समानता, विश्व शांति न्याय और स्वतंत्रता की बुनियाद वास्तविक रूप में मानवाधिकार है। भारतीय संविधान में प्रदत्त नागरिक अधिकार मानवाधिकार की मूल भावना को प्रदर्शित करता है। हम सभी मानव को बिना भेदभाव न्याय समानता उपलब्ध कराकर मानवाधिकार के वास्तविक धारणा को पूर्ण कर सकते हैं। मानवाधिकार की रक्षा का संकल्प भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार के रूप में संकल्पित होकर लेना चाहिए। उक्त विचार न्यायमूर्ति सुधीर नारायण द्वारा आज 10 दिसम्बर 2025 विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर प्रदेश मानवाधिकार संगठन द्वारा प्रयागराज में रेलवे जंक्शन के सामने स्थित होटल श्री गुलाब मेंशन में आयोजित विशाल मानवाधिकार उत्सव एवं सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सुधीर नारायण, अति विशिष्ट अतिथि जस्टिस उमेश सिद्धार्थ एवं संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद सिंह एवं राष्ट्रीय महामंत्री एड0 अखिलेश तिवारी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम में संगठन के पदाधिकारी अनिल मिश्र,सुलभ श्रीवास्तव, प्रीत सिंह, आयुष प्रताप सिंह, संदीप साहू , अवंतिका टंडन, कैप्टन डी के सिंह ने अतिथियों का माल्यार्पण एवं स्वागत अभिनंदन किया। कार्यक्रम में प्रयागराज,मीरजापुर, भदोही जनपद व मध्य प्रदेश के 15 गणमान्य लोगों को विश्व मानवाधिकार भूषण सम्मान पत्र 2025 एवं भूषण स्मृति चिन्ह 2025 देकर सम्मानित किया गया। जिसमें श्री डॉक्टर मनीष प्रताप सिंह एसोसिएट प्रोफेसर पूर्वांचल विश्वविद्यालय,डॉक्टर एन एन फारूकी को सम्मानित किया गया। प्रयागराज मंडल में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले 12 विभूतियों को उनके क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए मानवाधिकार भूषण सम्मान पत्र 2025 एवं भूषण स्मृति चिन्ह 2025 अंगवस्त्रम् के साथ देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्वांचल विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनीष प्रताप सिंह ने कहा कि मानवाधिकार नैसर्गिक विधि पर आधारित नैसर्गिक अधिकार की धारणा है। मानव अधिकार का तात्पर्य संविधान में प्रदत्त प्रत्येक नागरिक को प्राप्त प्राण स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के अधिकार से है। सभी नागरिकों को आज के दिन मानव के मानवाधिकार की रक्षा का संकल्प लेकर मानवाधिकार की धारणा को और मजबूत करना चाहिए। आगे कहा कि भारत में रंग, लिंग, भाषा, धर्म, सम्प्रदाय, सम्पत्ति के आधार पर किसी प्राणी के साथ भेदभाव निषेध ही मानवाधिकार है और इस क्षेत्र में प्रदेश मानवाधिकार संगठन का कार्य अतुलनीय है। भारत का संविधान ही मानवाधिकार संरक्षण का पवित्र ग्रंथ है। हम सभी को मानव के अधिकारों की रक्षा के लिए सतत प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री अखिलेश तिवारी एड० ने कहा कि मानवाधिकार में राष्ट्र के सभी नागरिकों के सम्पूर्ण अधिकार निहित है। 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व के समस्त नागरिकों के लिए जीवन स्वतंत्रता सुरक्षा दासत्व उत्पीड़न अभिव्यक्ति सम्पत्ति निवास की स्वतंत्रता से युक्त समस्त अधिकार विश्व के नागरिकों को प्रदान किया है इसलिए 10 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। कार्यक्रम में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अरविंद सिंह ने संगठन द्वारा इस वर्ष किए गए सार्वजनिक कार्य व मानवाधिकार उत्पीड़न के खिलाफ प्रयासों की चर्चा की व संगठन द्वारा 2026 में मानवाधिकार संरक्षण हेतु तय कार्यक्रमों के संकल्प को साझा किया ।
