नई दिल्ली (राजेश शुक्ला/राजेश सिंह)। भारत देश के कई प्रधानमंत्री अपने किस्सों के चलते लोगों के बीच खासा लोकप्रिय रहे। इन्हीं में से एक नाम चौधरी चरण सिंह का भी था, जिन्हें जनता का नेता कहा जाता था। वह अपनी सादगी और जनता से जुड़ाव के चलते चर्चा में बने रहते थे। आज बात चौधरी चरण सिंह से जुड़े एक किस्से की, जिसमें उनसे एक पुलिसवाले ने 35 रूपये की घूस ली थी। फिर जो हुआ वह सभी पुलिसवालों के लिए नजीर बन गया था। साल 1979 में चौधरी चरण सिंह देश के नए-नए प्रधानमंत्री बने थे। उस वक्त उत्तर प्रदेश के कई जिलों से किसान अपनी परेशानियां चौधरी चरण सिंह को पत्र लिखकर भेज रहे थे। इनमें अधिकतर समस्याएं पुलिस स्टेशन और ठेकदारों से जुड़ी घूस के मामलों की थी। इसी क्रम में वह एक दिन बिना किसी ताम-झाम के इटावा जिले के ऊसराहार थाने जा पहुंचे। क्योंकि वह जानते थे कि इस समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए एक सामान्य व्यक्ति जैसा व्यवहार ही करना होगा। चौधरी चरण सिंह, शाम को 6 बजे के करीब इटावा जिले के ऊसराहार थाने पहुंचे, उन्होंने मैली-कुचैली और कई जगह से फटी कुर्ता-धोती पहन रखी थी। वह इस थाने में बैल चोरी की शिकायत करने पहुंचे थे। पहले तो पुलिस वाले ने उनकी रिपोर्ट ही नहीं लिखी और फिर बातें बनाकर मामले को टालने लगा। इसके बाद पीएम उठकर चलने लगे तो पीछे से एक सिपाही ने आवाज लगाई कि दादा अगर कुछ खर्चा-पानी दो तो शिकायत लिख जाएगी। पीएम और सिपाही के बीच बातचीत हुई और तय हुआ कि 35 रुपये देने पर रिपोर्ट लिखी जाएगी। रिपोर्ट लिखने के बाद ने सिपाही ने उनसे पूछा कि ‘दादा दस्तखत करोगे कि अंगूठा लगाओगे’? पीएम चौधरी चरण सिंह ने कहा कि वह दस्तखत करेंगे, ऐसे में सिपाही ने शिकायत वाला कागज आगे बढ़ा दिया। चौधरी चरण सिंह ने पेन उठाया और अंगूठा लगाने वाला पैड भी उठाया। इसके बाद उन्होंने कागज पर दस्तखत कर दिए। यहां तक सिपाही कुछ नहीं बोला लेकिन इसके बाद चौधरी चरण सिंह ने अपने जेब से एक मुहर निकाली और स्याही वाले पैड पर रखी। फिर दस्तखत के पास ही मुहर भी ठोंक दी। सिपाही ने जब ध्यान से मुहर की तरफ देखा तो उस पर लिखा था प्रधानमंत्री, भारत सरकार। यह देख सिपाही के होश उड़ गए और खबर लगते ही पूरे थाने में हड़कंप मच गया। इसके बाद पीएम चौधरी चरण सिंह ने कड़ी कार्रवाई करते हुए पूरे ऊसराहार थाने को सस्पेंड कर दिया।