प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज मे जावेद के घर चले बुलडोजर के खौफ से लोग अपने आप ही अतिक्रमण खाली करने लगे। 10 जून की हिंसा पर उत्तर प्रदेश सरकार एक्शन में है। प्रयागराज में फिर बुलडोजर निकल सकता है। कल (रविवार) को हिंसा के मुख्य आरोपी जावेद का घर 4 घंटे में धराशायी हुआ। अब बाकियों की बारी है। प्रयागराज में बुलडोजर चलने के बाद अब वह लोग भी डर गए हैं और मकान-दुकान खाली कर रहे हैं, जो कई सालों से अवैध कब्जा करके बनाए हुए थे। प्रयागराज के जिस अटाला इलाके में बीते शुक्रवार को हिंसा हुई, उस अटाला इलाके के मजीदी इंटर कॉलेज की जमीन पर बनी दुकानों को बुलडोजर के डर से खाली किया जा रहा है। जिन दुकानों से लोग अपनी परिवार का पेट पाल रहे थे, आज उन दुकानों को खाली कर रहे हैं। हालांकि इस दौरान कोई कुछ कह नहीं रहा है, लेकिन दुकानें खाली की जा रही हैं। पुलिस ने अब तक जिन 68 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके घरों का चिन्हीकरण किया जा चुका है। यह जानकारी जुटाई गई कि किसने अवैध तरीके से मकान बनवा रखे हैं। उन सभी के घरों की पड़ताल करने के लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण और राजस्व विभाग की टीमों को लगाया गया है। इसके अलावा अटाला इलाके में चलने वाली बिरयानी व लस्सी की दुकान का भी चिन्हीकरण किया जा चुका है। यहां भी बुलडोजर चलाया जा सकता है। अटाला में बवाल के मुख्य आरोपी मोहम्मद जावेद उर्फ जावेद पंप के ऊपर बड़ी कार्रवाई करते हुए उसके पांच करोड़ के आशियाने पर बुलडोज़र कराकर ध्वस्त किया गया है।
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को अटाला में नमाज के बाद भड़की हिंसा में इतने पत्थर चले कि उनको गिन पाना मुश्किल था। ये पत्थर कहां से आए? यह एक बड़ा सवाल है। ऐसा माना जा रहा है अटाला इलाके में तीन से चार मकान निर्माणाधीन है। इस वजह से काफी ईंट वहां पर मौजूद थी। इसका प्रयोग पत्थरबाजी करने वाले उपद्रवियों ने जमकर किया। प्रयागराज की अटाला की सड़क नुरुल्लाह रोड और शौकत अली मार्ग से सटी कई गलियों से उपद्रवी निकलकर पुलिस वालों पर पथराव करते रहे। इस पथराव में चाहे पुलिसकर्मी हो या आम आदमी या पत्रकार सभी चोटिल हो गए। वहीं इस पथराव में अटाला सड़क और गलियों में रखी चार पहिया वाहन पथराव का शिकार हुए। इस हिंसा को तीन दिन का वक्त बीत गया है, लेकिन अटाला में हुए हंगामे के बाद प्रयागराज की अटाला के इलाकों से लेकर इलाके की आने जाने वाली हर सड़क और गलियों में सन्नाटा पसरा है। इन सब जगह पुलिसकर्मी और आरएएफ के जवान तैनात हैं। वही दुकानों के बंद होने से दुकानदारों को भी नुकसान हो रहा है। इसके अलावा रोजमर्रा कमाने खाने वालों पर भी इस हंगामे का असर नज़र आने लगा है। सड़क किनारे जो छोटी दुकानें लगाते थे, हिंसा की वजह से सभी की दुकानें बंद हो गई हैं। अब इन सारी खाली सड़कों पर सिर्फ पुलिस ही पुलिस नजर आ रही है। पुलिस भी उपद्रवियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है और उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है।