प्रयागराज (राजेश सिंह)। सिविल लाइंस में बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर संतोष कुमार श्रीवास्तव की जान दो डॉक्टरों की पहल पर बचा ली गई। बेटी को स्कूल से लेकर लौटते वक्त बीच रास्ते अटैक पड़ने से उनकी हालत बिगड़ गई। इसी दौरान उधर से गुजरे न्यूरो सर्जन डॉ. प्रकाश खेतान व उनके सहयोगी डॉ. आरडी सोनकर की नजर पड़ी तो उन्होंने कार में ही सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिकेशन) देकर उन्हें बचाया और फिर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। संतोष श्रीवास्तव त्रिवेणीपुरम झूंसी के रहने वाले हैं और बीओबी साउथ मलाका शाखा में मैनेजर के पद पर तैनात हैं। सोमवार को वह अपनी बेटी को स्कूल से लेकर लौट रहे थे। साथ में पत्नी सुरभि भी थीं। अभी वह धोबीघाट चौराहे के पास पहुंचे थे कि तभी अचानक उन्हें अटैक पड़ा। सीने में तेज दर्द होने पर उन्होंने गाड़ी रोकी और कुछ देर बाद ही अचेत हो गए। यह देख पत्नी व बेटी स्तब्ध रह गईं। उनकी काफी कोशिशों के बाद भी वह होश में नहीं आए तो वह बिलखने लगीं। इसके बाद गाड़ी से उतरकर आने-जाने वालों से मदद मांगने लगीं। इसी दौरान डॉ. खेतान व सोनकर उधर से गुजरे। महिला व बच्ची को बिलखते देख उन्होंने वजह पूछी तो घटना का पता चला। इसके बाद फौरन ही दोनों डॉक्टरों ने बैंक मैनेजर को कार में ही सीपीआर दिया। जिससे कुछ देर बाद उन्हें होश आ गया। इसके बाद डॉक्टरों ने ही उन्हें जागृति अस्पताल पहुंचाया जहां उन्हें भर्ती कर इलाज शुरू किया। जिससे उनकी हालत में सुधार हुआ। डॉक्टरों ने बताया कि समय पर सीपीआर मिलने से ही उनकी जान बच सकी, वरना अनहोनी हो सकती थी। उधर परिवार ने दोनों डॉक्टरों का आभार भी जताया।
बैंक मैनेजर की जान बचाने वाले डॉ. खेतान कई जटिल सर्जरी का कीर्तिमान बना चुके हैं। साथ ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने बताया कि कार्डिएक अरेस्ट होने पर सीपीआर बेहद कारगर होता है। अटैक पड़ने पर हार्ट काम करना बंद कर देता है जिससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन का प्रवाह रुक जाता है। ऐसे में अगर अटैक पड़ने के तीन से पांच मिनट केभीतर सीपीआर दे दी जाए तो इस स्थिति से बचा जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि कार्डिएक अरेस्ट के ज्यादातर मामलों में समय पर सीपीआर न मिलने पर मरीज की हालत बेहद गंभीर हो जाती है।
कार्डिएक अरेस्ट एक ऐसी मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें हार्ट अचानक काम करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में उपचार मिलने तक सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इसके तहत मरीज को आर्टिफिशियल तरीके से ऑक्सीजन दी जाती है। दरअसल तीन मिनट तक ऑक्सीजन न मिलने पर मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है जिससे जान को खतरा हो जाता है। जानकारी कहते हैं कि मरीज को एकदम समतल जगहर पर लिटा दें। इसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर मरीज की छाती को कम-कम अंतराल पर पंप करें। सामान्य हार्ट बीट 60-100 होती है, ऐसे में एक मिनट में कम से कम 60 बार हार्ट को पंप करें।